Posted on 16-Dec-2015 01:59 PM
अदरक मल भेदक, भारी, तीक्ष्ण, गर्म, उदराग्नि वर्धक, वातकफनाशक होता है। भोजन से पहले अगर अदरक को नमक के साथ खाया जाए तो यह अग्नि को प्रदीप्त करता है, जीभ और कंठ को शुद्ध करता है। अदरक कुष्ठ, पीलिया, मूत्र कृष्ठ, रक्त पित्त, घाव, फोड़े, ज्वर, दाह आदि रोगों को नष्ट करता है।
अदरक सर्दी, जुकाम, खांसी और ज्वर को नष्ट करता है। अदरक मिली चाय सीने में जमे बलगम को निकाल देती है। अदरक पाचन शक्ति को ठीक रखता है। अदरक सीने और फेफड़ों में रक्त संचार बनाए रखता है।
अजीर्ण होने पर अदरक के रस में नीबू का रस और थोड़ा सा नमक डालकर पीने से अजीर्ण दूर हो जाता है। यदि अपच हो तो भोजन से पहले और बाद में अदरक और नीबू के रस में जरा सा संेधा नमक मिलाकर कुछ दिन सेवन करने से अपच हमेशा के लिए दूर हो जाती है।
अतिसार में एक प्याला गर्म पानी में अदरक की एक गांठ कूट कर डाल दें। जब पानी में अदरक का रस घुल जाए तो घूंट-घूंट करके पी लें। अतिसार के लिए बहुत ही लाभदायक है। यदि दमा खांसी हो तो अदरक का रस और शहद तीस-तीस ग्राम मिलाकर गुनगुना करके दिन में तीन बार पीएं। अदरक का रस पीने से जुकाम दूर हो जाता है।
दमा रोग में पांच ग्राम सीप की भस्म अदरक के रस में घोलकर चालीस गोलियां बना लें और सुबह शाम एक-एक गोली अदरक की चाय के साथ लें।