ताजा रस - उत्तम स्वास्थ्य के लिए

Posted on 30-Jul-2015 02:50 PM




कमजोर पाचन शक्ति वालों के लिए तो फलों व सब्जियोें के विभिन्न रस बहुत उपयोगी हैं। हरी सब्जियों में क्लोरोफिल पाया जाता है। यह शरीर में पानी के संतुलन को बनाए रखने में भी मदद करते हैं। कुछ फलों व सब्जियों के रसों की उपयोगिता इस प्रकार है -

संतरे का रस - इसमें विटामिन-सी की मात्रा अधिक होती है। संतरे में कैल्शियम व फास्फोरस भी होता है। यह रस सर्दी, जुकाम तथा स्कर्वी रोग से शरीर को बचाता है। कैल्शियम की कमी से होने वाले अस्थि (हड्डी) रोग में भी लाभकारी है। 

सेब का रस:- सेब में बहुत शक्ति होती है। सेब के रस से खून व पेट साफ रहता है। आंतों में इन्फेक्शन को दूर करता है। भूख बढ़ाता है। खांसी को ठीक करता है। गुर्दों को साफ रखता है। पथरी न बनने में भी सेब का रस लाभदायक है। ताजे सेब के रस में विटामिन-ए, बी- 1, 2, 6, व सी होते हैं जिनसे स्वास्थ्य अच्छा रहता है।

नीबू का रस:- विटामिन- सी से भरपूर नीबू का रस पेट व खून साफ करता है। पीलिया रोग जो लीवर से संबंधित है उसमें नीबू का रस लाभकारी है। शहद व गुनगुने पानी के साथ लेने से यह मोटापा घटाता हैै। शरीर की चमक बढ़ती है। खुजली, खांसी, सर्दी-जुकाम में भी लाभदायक है। नीबू का रस रोज लेना बेहद उपयोगी है। हिचकी आने पर नीबू का रस शहद व चुटकी भर काला नमक एक साथ लेने से आराम मिलता है। नीबू, आँवला एवं संतरे में प्राकृतिक रूप से विटामिन ‘सी’ ज्यादा होता है। 

अनन्नास का रस:- अनन्नास का रस पेट के कीड़ों को मारने में मददगार है। इसमें भोजन पचाने की ताकत है। यह सूजन को दूर करने में मदद करता है। यह गले के रोगों, बुखार, त्वचा रोगों, पीलिया, मधुमेह आदि बीमारियों में लाभकारी है।

गाजर का रस:- गाजर का रस खून को साफ करता है। एसिडिटी, आँखों व सांस संबंधी तकलीफों, पेट संबंधी रोगों, थकान, खून की कमी, दमा, टी.बी., पीलिया, पढ़ा-लिखा याद न होना, पेट के कीड़े, चर्मरोग, गाठिया, आदि रोगों में अत्यंत लाभकारी है। रोग के अनुसार गाजर का रस चुकन्दर के रस के साथ व कभी-कभी पालक के रस के साथ लिया जा सकता है।

खीरे का रस:- खीरे के रस में पोटेशियम अधिक मात्रा होता है। पेट में अल्सर, एसिडिटी, कब्ज आदि में फायदेमंद है। बालों के लिए, खीरे के रस में गाजर व पालक का रस एक साथ लेने से लाभ होता है। यह मधुमेह व त्वचा रोगों में लाभकारी है।
इस तरह फलों व सब्जियों के रस से हम स्वस्थ रहते हैं। फल व सब्जियाँ अच्छी तरह धोकर रस बनायें। जिस बर्तन में बनाया जाए वह अच्छी तरह साफ हो। रस बनाने वाले के हाथ भी साफ हो यह बहुत जरूरी है। फल, सब्जियाँ मौसम के अनुसार प्रयोग करें। फलों के रस जहाँ तक हो सके भोजन से पहले या भोजन के दो तीन घंटे बाद लें। सब्जियों के रस भोजन से पहले लिए जाएँ तो लाभदायक है।


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