Posted on 11-Sep-2015 03:16 PM
व्यायाम कब और कैसे:-
व्यायाम का अर्थ है संपूर्ण शरीर या शरीर के किसी अंग विशेष को एक समान लय में कुछ निश्चित समय एवं निश्चित अनुपात में गति देना, माँसपेशियों, हड्डियों एवं रक्त परिवहन को सुषुप्तावस्था से जाग्रत करना, उत्तेजित करना, उनकी कार्यप्रणाली में गति प्रदान करना।
परंतु देखने में यह आता है कि किसी बीमारी के होने पर जब तक किसी डाॅक्टर द्वारा विशिष्ट व्यायाम या सुबह तेज गति से पैदल घूमने जाने की हिदायत न दी जाए तब तक लोग इसे समय की बर्बादी ही मानते हैं। व्यायाम का महत्व दो-चार प्रतिशत व्यक्ति ही समझते हैं, परंतु वे भी नियमित नहीं कर पाते। सिर्फ एक प्रतिशत ही होंगे जो व्यायाम के प्रति नियमित हों।
अधिकांशतः मन में प्रश्न यह उठता है कि मजदूर गरीब व्यक्ति पैदल या साइकिल से चलते हैं। इतना पसीना बहाते हैं फिर भी बीमार रहते हैं तो व्यायाम कैसे फायदेमंद है।
स्वच्छता और श्रम मनुष्य के सर्वोत्तम वैद्य हैं। अज्ञानता, समयाभाव, स्वच्छता के प्रति जागृति की कमी, कुपोषण या अल्प पोषण के कारण ये बीमार होते हैं। शरीर एवं मांसपेशियाँ तो इनकी गठी हुई होती हैं। ये किसी शहरी बाबू की तुलना में कई गुना अधिक श्रम करने की शक्ति रखते हैं।
महिलाएँ सोचती हैं कि घर के कामों में ही उनका इतना व्यायाम हो जाता है, वे थक जाती हैं, उन्हें अलग से व्यायाम करने की जरूरत नहीं है। पुरुष भी यह सोचते हैं कि उनको दफ्तर या दुकान में काम की भागदौड़ में इतनी मेहनत करनी पड़ती है कि व्यायाम की जरूरत ही नहीं है। दोनों ही धारणाएँ गलत हैं।
एक जैसा कार्य करते-करते पूरे शरीर की मांसपेशियों का संचालन नहीं हो पाता, इसलिए उनकी मांसपेशियाँ गठी हुई नहीं होती और वे थक जाते हैं। झाडू लगाना, पोंछा लगाना, कपड़े धोना भी अच्छे शारीरिक व्यायाम हैं। परंतु समस्त अंगों को सुडौल रखने के लिए तथा फेफड़ों मंे शुद्ध हवा के लिए अन्य व्यायाम भी आवश्यक हैं।
हर उम्र के व्यक्ति के लिए नियमित हल्के-फुल्के व्यायाम उचित हैं। जोश व उतावली में अनियमित व ज्यादा व्यायाम न करें। वृद्ध व्यक्ति, गर्भवती महिलाएँ, हृदय रोगी भी डाक्टर की सलाह लेकर कुछ व्यायाम कर सकते हैं। व्यक्तिगत स्थिति, उम्र, शारीरिक स्वास्थ्य समय और पसंद के आधार पर व्यायाम का चयन करना उत्तम रहता है।
’प्रातःकाल पैदल घूमने जाना अच्छा व्यायाम है। परंतु कुछ तीव्र गति से चलें। नाक से साँस लें। मुँह बंद रखें। ऐसा नहीं कि दो-चार इष्ट मित्रों के साथ बातचीत करते हुए आराम से घूमें। ’यथासंभव शुद्ध और साफ हवादार जगह पर व्यायाम करें।
’प्रतिदिन निश्चित समय पर व्यायाम करें। प्रारंभ में थोड़ा व्यायाम करना चाहिए बाद में व्यायाम की मात्रा धीरे-धीरे बढ़ाना चाहिए। ’किसी दिन कम और किसी दिन अधिक व्यायाम नहीं करना चाहिए। व्यायाम नियमित करना चाहिए। ’व्यायाम करने से शरीर में गर्मी पैदा हो जाती है। अतः व्यायाम करने के तुरंत बाद नहाना या कुछ खाना-पीना नहीं करना चाहिए।