Posted on 29-Jun-2015 02:20 PM
आयुर्वेद में ऐसी कई जड़ी-बूटियां हैं जिनके प्रयोग से स्वस्थ रहा जा सकता है। साथ ही इनसे कोई दुष्प्रभाव भी नहीं होते। आइए जानते हैं इनके बारे में।
अडूसा: खांसी -जुकाम में लाभ।
तरीका: अडूसा के 4-5 पत्तों को तुलसी के कुछ पत्तों, गिलोय के छोटे टुकड़े व लेमनग्रास के पत्तों के साथ कूटकर एक गिलास पानी में उबालें जब यह मात्रा आधी रह जाए तो छानकर सुबह-शाम पिएं।
गिलोय: इम्यून सिस्टम मजबूत करती है। डेंगू व स्वाइन फ्लू जैसे मौसमी रोगों, डायबिटीज, घुटनों में दर्द, मोटापा और खुजली की समस्या में आराम पहुंचाती है।
तरीका: इसके तने का 4-5 इंच का टुकड़ा लेकर कूट लें और एक गिलास पानी में उबालें, पानी की मात्रा आधी रहने पर छानकर पीने से लाभ होगा।
ग्वारपाठा: त्वचा व बालों संबंधी समस्याओं में लाभकारी।
तरीका: जलने पर जैल की तरह लगाने से फफोले नहीं पड़ते। चेहरे पर इसका गूदा लगाने से मुंहासे दूर होते हैं। इसके गूदे में नीबू का रस मिलाकर बालों पर लगाएं। एक घंटे बाद सिर धोने से रूसी की समस्या दूर होकर बाल मजबूत होते हैं।
पत्थरचट्टा: पेशाब में जलन, गुर्दे की पथरी में असरदायी।
तरीका: 4-5 पत्तों को पीसकर एक गिलास पानी में मिलाकर सुबह-शाम पीने से लाभ होगा।
हर शृंगार: गठिया में फायदेमंद।
तरीका: फूलों व पत्तियों का काढ़ा बनाकर पिएं।
सतावरी: महिला रोगों, खून की कमी व ब्रेस्ट फीडिंग कराने वाली महिलाओं के लिए उपयोगी।
इसकी जड़ को काटकर कूट लें। जड़ के एक चम्मच रस को शहद के साथ लें। अमरबेल वनौषधि: यह त्वचा, रक्त विकार औेर लिवर के रोगों में लाभदायक है। अमरबेल को पीसकर इसके लेप को खुजली वाले स्थान पर लगाने से आराम मिलता है। दिन में तीन बार इसका काढ़ा शहद के साथ बराबर मात्रा में इस्तेमाल करने से रक्त विकार दूर होते हैं। लिवर की सिकुड़न को दूर करने मंे अमरबेल का काढ़ा 20-25 मिलीग्राम दिन में 2 बार कुछ हफ्तों तक पीना चाहिए। करीब 25 ग्राम अमरबेल को गाय के दूध से बनी छाछ के साथ पीसकर दिन में दो बार खाली पेट तीन दिन, तक लेने से पीलिया रोग में आराम मिलता है।