Posted on 15-May-2015 12:25 PM
एंटीबायोटिक दवाओं के बेअसर होने को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चिंता जाहिर की है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि दुनिया के तीन-चैथाई देशों के पास सूक्ष्मजीवीरोधी यानी एंटीबायोटिक दवाओं को संरक्षित रखने की कोई योजना नहीं है। संगठन ने चिंता जाहिर की है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि दुनिया के तीन-चैथाई देशों के पास सूक्ष्मजीवीरोधी यानी एंटीबायोटिक दवाओं को संरक्षित रखने की कोई योजना नहीं है। है कि दुनिया के तीन-चैथाई देशों के पास सूक्ष्मजीवीरोधी यानी एंटीबायोटिक दवाओं को संरक्षित रखने की कोई योजना नहीं है।
एक रिपोर्ट
संस्था ने कई बार चेतावनी दी है कि विश्व ऐसे दौर में प्रवेश करने जा रहा है जहां एंटीबायोटिक दवाएं बेअसर साबित हो जाएंगी। चिंता की बात यह है कि अगर ऐसा हुआ तो आधुनिक चिकित्सा लगभग असंभव हो जाएगी। एक रिपोर्ट के मुताबिक कई संक्रमणों के मामले में दवाओं के खिलाफ बढ़ रही प्रतिरोधक क्षमता रोकने की जरूरत है। विशेषज्ञों का मानना है कि हालात भयावह हो गए हैं और दुनिया के ज्यादातर देश इसके लिए तैयार नहीं है।
क्यों है स्थिति डरावनी
दरअसल, सूक्ष्मजीवी यानी जीवाणु दवाओं के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता उत्पन्न कर लेते हैं। ऐसी स्थिति में गंभीर बीमारियों का इलाज असंभव हो जायगा। कई तरह की सर्जरी और कैंसर का इलाज भी एंटीबायोटिक दवाओं पर निर्भर है। इसके अलावा एंटीवायरल दवाओं और मलेरिया की दवाओं के कमजोर होने की चिंता जताई जा रही है।