इंसान का मस्तिष्क जो सोच सकता है और जिसमें यकीन कर सकता है उसे वह हासिल कर सकता है।
मस्तिष्क की कोई सीमाएँ नहीं हैं, सिवाय उनके जिन्हें हम मान लेते हैं। गरीबी और अमीरी दोनों ही विचार की संताने हैं।
“जीवन के युद्ध में हमेशा वही नहीं जीतता
जो सबसे ताकतवर या तेज होता है,
बल्कि जल्दी या देर से जीतता वहीं है
जो सोचता है कि वह जीत सकता है।”
हर मुश्किल, हर असफलता, हर दुख में इसके बराबर या इससे बड़े लाभ का बीज छुपा होता है।
सफलता को स्पष्टीकरण देने की जरूरत नहीं होती असफलता बहाने बनाने की अनुमति नहीं देती।
सुख, कर्म करने में मिलता है, सिर्फ स्वामित्व में नहीं मिलता है।
कोई भी अमीरी की चाह रख सकता है और ज्यादातर लोग रखते है। परन्तु केवल कुछ ही लोग जानते है कि एक निश्चित योजना और दौलत की धधकती प्रबल इच्छा ही दौलत कमाने के भरोसेमंद साधन है।