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अनमोल वचन
Posted on 07-May-2015 01:01 PM
जैसे पानी को कपड़े से छानकर पीते हैं, वैसे ही शब्द को सत्य से छानकर बोलो।
जैसे कीड़ा वस्त्रों को, वैसे ही ईष्र्या मनुष्य को नष्ट कर देती है।
जैसे हम द्वेष से जगत को नरक सदृश्य बना देते है, ऐसे ही उसे प्रेम से स्वर्ग के समान भी बना सकते है।
पुष्प में गन्ध, तिलों में तेल, काष्ठ में अग्नि, दूध में घृत और ईख में गुड़ रहने के समान ही शरीर में स्थित आत्मा को विवके से देखें।
जब मन भटकती हुई इन्द्रियों के पीछे भागता है, तब वह मनुष्य की समझ को हर लेता है, जैसे वायु जल में नाव को बहा ले जाती है।
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