Posted on 21-Jul-2016 01:36 PM
यह तो सभी जानते हैं कि प्लग मंे तीन पिन होती हैं। इनमें से दो पिनों का आकार तो समान होता है, लेकिन तीसरी पिन बड़ी और मोटी होती है। इन पिन को अर्थ के तार या भूयोजित तार से जोड़ा जाता है। आइए जानें यह पिन जरूरी क्यों होती है....... तीसरी पिन और उससे जुड़े तार में सामान्यतः विद्युत प्रवाहित नहीं होती। इस तार का एक सिरा उपकरण की बाॅडी से जोड़ दिया जाता है और दूसरे सिरे का संबंध घर में बिछे विद्युत के तारों द्वारा जमीन में दबी एक धातु की प्लेट से कर दिया जाता है। इसे अर्थिंग या इलेक्ट्रिकल ग्राउंडिंग कहते हैं। कभी-कभी किसी खराबी के कारण अगर विद्युत उपकरण में धारा प्रवाहित होने लगे, तो करंट लग सकता है। तीसरी पिन और उसका धरती में दबी प्लेट से संबंध ऐसे में करंट से सुरक्षा प्रदान करता है। सभी उपकरणों की सही तरीके से अर्थिंग जरूरी होती है। तीसरी पिन यही जरूरत पूरी करती है और किसी को करंट का झटका नहीं लगने देती।