सभी की उंगलियों के निशान एक जैसे क्यों नहीं होते ?

Posted on 22-May-2015 03:21 PM




यदि आप अपने अंगूठे कोे एक इंक पैड पर दबाकर सफेद कागज पर लगाओ, तब अंगूठे के निशान कागज पर आ जाएँगे। अनेक व्यक्तियों के अंगूठे के निशान लेकर अपने अंगूठे के निशान से मिलाओ। ये संसार में किसी भी व्यक्ति के अंगूठे के निशान से नहीं मिलेंगे। संसार में किन्हीं भी दो व्यक्तियों की उंगलियों के निशान एक जैसे नहीं हो सकते। प्रकृति ने सभी की उंगलियों की त्वचा की संरचना इस प्रकार से की है कि किन्हीं दो व्यक्तियों की उंगलियों की संरचना एक जैसी नहीं है। हालांकि जीवन भर मानव शरीर में कई तरह की वृद्धि और बदलाव होते रहते हैं, लेकिन आपके हाथों-पैरों की उंगलियों पर बनी बारीक रेखाओं के निशानों में जन्म से लेकर मृत्यु तक कोई परिवर्तन नहीं होता।लेकिन आपके हाथों-पैरों की उंगलियों पर बनी बारीक रेखाओं के निशानों में जन्म से लेकर मृत्यु तक कोई परिवर्तन नहीं होता।
दो व्यक्तियों की उंगलियों के निशान एक जैसे नहीं होेते। यह तथ्य चीन के लोगों को दो हजार वर्ष पहले से पता था और इसीलिए चीनी राजा महत्वपूर्ण कागजातों पर अपने अंगूठे की निशानी लगा देते थे, लेकिन इस तथ्य को सन् 1892 में एक अंग्रेज वैज्ञानिक सर फ्रांसिस गाल्टन ने सबसे पहले सिद्ध करके दिखाया कि संसार मंे किन्हीं भी दो व्यक्तियो की उंगलियों के निशान एक जैसे नहीं हो सकते। तभी से अपराधियों का पता लगाने में इस विधि का प्रयोग किया जा रहा है। उंगलियों के निशानों का पता लगाने के लिए सर एडवर्ड हेनरी ने एक तरीका निकाला, जो संसार के सभी पुलिस विभागों द्वारा अपराधियों का पता लगाने हेतु प्रयोग किया जाता है।
सर हेनरी ने बताया कि उंगलियों के निशानों को वृत्त, तीर और लहरों की आकृति में लिया जा सकता है। दस उंगलियों के निशानों की छाप लेकर एक निश्चित इकाई में वर्गीकृत कर दिया जाता है। किसी भी पुलिस विभाग में हजारों व्यक्तियों के उंगलियों के निशानों के चित्र एक फाइल में रहते हैं। इन निशानों से मिनटों में अपराधियों का पता लगा जाता है। अब तक के अध्ययनों से पता चला है कि 24 करोड़ व्यक्तियों के उंगलियों के निशानों में से किन्हीं दो के निशान कुछ हद तक मिल सकते हैं। सभी देशों में आज इस पद्धति से अपराधियों द्वारा छोड़े गए निशानों के आधार पर उनका पता लगाया जाता है। नए जन्मे बच्चों के हाथों-पैरों की उंगलियों के निशानों द्वारा ही अस्पतालों में उनकी पक्की पहचान की जाती है। खोए हुए और याददाश्त खोने वाले व्यक्तियों आदि की पहचान के लिए पुलिस भी इस उपाय का इस्तेमाल करती है।जन्मे बच्चों के हाथों-पैरों की उंगलियों के निशानों द्वारा ही अस्पतालों में उनकी पक्की पहचान की जाती है। खोए हुए और याददाश्त खोने वाले व्यक्तियों आदि की पहचान के लिए पुलिस भी इस उपाय का इस्तेमाल करती है।


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