Posted on 31-Jul-2015 02:12 PM
वास्तविकता में ब्रह्माण्ड के विषय में वैज्ञानिको को भी बहुत कम जानकारी हैं। ब्रह्माण्ड के बारे में बहुत कुछ अनुमानों के आधार पर वैज्ञानिकों ने अपने मत प्रस्तुत कियें हैं। रात में आकाश की ओर देखे तो दूर-दूर तक हमें तारें ही तारें दिखाई देते हैं दरअसल यही आसमान ब्रह्माण्ड का एक छोटा-सा भाग हैं। पूरा ब्रह्माण्ड हमें दिखाई दे ही नहीं सकता, इतना असीम कि हमारी नज़रे वहाँ तक पहुँच ही नहीं सकती।
विश्व-प्रसिद्ध खगोलशास्त्री फ्रेड-होयल के अनुसार ब्रह्माण्ड सब-कुछ हैं। अर्थात् अंतरिक्ष, पृथ्वी तथा उसमे उपस्थित सभी खगोलीय पिण्डो, आकाशगंगा, अणु और परमाणु आदि को समग्र रूप से ब्रह्माण्ड कहते हैं। सब कुछ समेट लेना ब्रह्माण्ड का एक विशेष गुणधर्म हैं। ब्रह्माण्ड से संबंधित अध्ययन को ब्रह्माण्ड-विज्ञान कहते हैं। ब्रह्माण्ड इतना विशाल हैं कि इसकी हम कल्पना नहीं कर सकते, अरबों-खरबों किलोमीटर लम्बा-चैड़ा मालूम होता हैं।
ब्रह्माण्ड की दूरियाँ इतनी अधिक होती हैं कि उसके लिए हमें एक विशेष पैमाना निर्धारित करना पड़ा-प्रकाश वर्ष। दरअसल प्रकाश की किरणें एक सेकेंड में लगभग तीन लाख किलोमीटर की दूरी तय करती हैं। इस वेग से प्रकाश किरणें एक वर्ष में जितनी दूरी तय करती हैं, उसे एक प्रकाश-वर्ष कहते हैं। इसलिए एक प्रकाश-वर्ष 94 खरब, 60 अरब, 52 करोड़, 84 लाख, 5 हजार किलामीटर के बराबर होता हैं। सूर्य हम से 8 मिनट और 18 प्रकाश सेकेंड दूर हैं। तारों, ग्रहों और आकाशगंगाओं की दूरियाँ नापने के लिये एक और पैमाने का इस्तेमाल होता हैं, जिसे पारसेक कहते है। एक पारसेक 3.26 प्रकाश-वर्ष के बराबर हैं।
सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी को एस्ट्रोनामीकल-यूनिट या खगोलीय इकाई कहते हैं।