Posted on 04-Aug-2016 12:03 PM
धर्मशास्त्रों में कलश को ब्रह्या, विष्णु, महेश और मातृगण का निवास कहा गया है। समुद्र मंथन से निकलने वाले अमृत को भी एक कलश में ही प्राप्त माना जाता है। ऋग्वेद में कहा गया है कि पवित्र जल से परिपूर्ण कलश देवराज इंद्र का सादर समर्पित है। मानव शरीर की कल्पना भी मिटटी के कलश से ही की जाती है।