हमारे देश में 106 प्रजातियां पाई जाती है-शिकारी पक्षियों की

Posted on 04-May-2015 03:53 PM




भारत में  “रैप्टर“ अर्थात शिकारी पक्षियों की लगभग 106 प्रजातियां पाई जाती हैं, यह जानकारी हाल ही में एक जुलाॅजिकल सर्वे के प्रकाशन से मिली है। प्रकाशन के अनुसार विश्वभर में “रैप्टर“ की 572 प्रजातियां पाई जाती हैं जिनमें से 18 प्रतिशत सिर्फ भारत में हैं। सर्वे के निदेशक के वेंकटरमण ने कहा कि “जंगल“ में इन शिकारी पक्षियों की मौजूदगी बेहतर पर्यावरण का संकेत हैं। वे चूहों व अन्य छोटे स्तनपायी जीवों की संख्या पर नियंत्रण रखकर जैविक संतुलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। “दो प्रकार के “रैप्टर“  होते हैं, एक तो वे जो दिन में सक्रिय रहते हैंेेेेे दूसरे वे जो रात में उड़ते हैं। भारत में चील, गिद्ध, बाज, हैटिया हाॅक व बज़ई की 69 प्रजातियां पाई जाती हैं। इनमें से 59 प्रतिशत स्थानीय हैं व 16 प्रतिशत प्रवासी हैं। 19 प्रतिशत प्रजातियां स्थानीय भी हैं और प्रवासी भी। इसके अलावा भारत में उल्लू की 325 प्रजातियां मिलती हंै। “रैप्टर्स आॅफ इण्डिया“ नामक किताब के अनुसार इण्डियन वाइट बैक्ड वल्चर, लाँग बिल्ड वल्चर, स्लैण्डर बिल्ड वल्चर, रैड हैडेड वल्चर एवं फाॅरेस्ट आउलेट गंभीर रूप से संकटग्रस्त प्रजातियां हैं। ईजिप्शियन वल्चर व साकरे विश्व में संकट ग्रस्त प्रजातियों की रैड लिस्ट में हैं। इस किताब में कुछ अन्य रैप्टर पक्षियों का भी उल्लेख है, जैसे अण्डमान सरपैंट ईगल एवं पेट निकोबार सरपैंट ईगल। ये सिर्फ अण्डमान निकेाबार द्वीप में ही मिलते हैं। एमूर फैल्कन, बफी फिश आउल, स्पाॅटेड ईगल व चाईनीज स्पैरों हाॅक का भी उल्लेख है।


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