हमारी घ्राण षक्ति-नासिका

Posted on 27-Jun-2015 03:52 PM




नाक के अन्दर वाला भाग श्लेष्मा झिल्ली द्वारा आच्छादित होता है। झिल्ली से विशेष प्रकार का óाव निकलकर नाक की दीवारों को तर रखता है। इस भाग में रक्त कोशिकाएँ जाल की भाँति फैली होती हैं। इसके ऊपरी भाग में प्रथम कापालिक तंत्रिका (घ्राण तंत्रिका) की शाखा-प्रशाखाओं का जाल बिछा होता है। इसका संबंध हमारे गन्ध ज्ञान से होता है। नाक का निम्न भाग श्वाँस मार्ग होता है। इसलिए सामान्य रूप से श्वसन क्रिया के समय हमें गन्ध का बोध नहीं होता है। जब गन्ध की तीव्रता अधिक होती है या हम गहरा साँस लेते हैं तो उस समय गन्ध का अनुभव होता है। हमारे गन्ध ज्ञान से होता है। नाक का निम्न भाग श्वाँस मार्ग होता है। इसलिए सामान्य रूप से श्वसन क्रिया के समय हमें गन्ध का बोध नहीं होता है। जब गन्ध की तीव्रता अधिक होती है या हम गहरा साँस लेते हैं तो उस समय गन्ध का अनुभव होता है।
गन्ध का अनुभव 
घ्राण तंत्रिकाओं का सूत्रान्त नाक के ऊपरी भाग की श्लेष्मा झिल्ली में होता हैं, वायुमण्डल में बिखरे गन्ध के कण जब इन तंत्रिकाओं में सूत्रान्त को प्रभावित करते है। इनकी उत्तेजना घ्राण तंत्रिकाओं द्वारा मस्तिष्क के घ्राण केन्द्र को प्रभावित करती है तो उस समय हमें गंध (दुर्गन्ध या सुगंध) का ज्ञान होता है। इससे स्पष्ट है कि वाष्पशील वस्तुओं की गंध का अनुभव हमें होता है, जो वस्तु वाष्पशील तथा नाक की श्लेष्मा में घुलनशील नहीं होती है, उसकी गंध का पता हमंे नहीं लगता है। नाक के ऊपरी कोष्ठ की झिल्ली अपेक्षाकृत मोटी होती है। इसमें कुछ बाल जैसे उभार होते हैं, जो कि रोमाकार उभार गंध- कोशिकाओं के होते हैं।
जुकाम की परिस्थिति में श्लैष्मिक झिल्ली में सूजन आ जाती है, जिससे नाक श्लेष्मा से भर जाता है। वायु नाक के ऊपरी भाग में नहीं जा सकती है। इस स्थिति में गन्धयुक्त वाष्पशील पदार्थ का सम्पर्क नाक के ऊपरी भाग (घ्राण तंत्रिका) की कोशिकाओं के सूत्रान्त से नहीं हो पाता है। ऐसी अवस्था में झिल्ली की सूजन के कारण सू़त्रान्त झिल्ली के अन्दर चले जाते हैं, इससे सूत्रान्त का सम्पर्क गन्धयुक्त वाष्प से नहीं हो पाता है। परिणामतः हमें गंध का ज्ञान नहीं हो पाता है।
    कुत्तों एवं अन्य जानवरों मंे गन्ध ज्ञान मनुष्य की अपेक्षा अधिक होता है, इसका कारण यह है कि इनकी गन्ध कोशिकाएँ और मस्तिष्क के घ्राण केन्द्र भी मनुष्य की अपेक्षा अधिक संवेदनशील होते हैं।


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