Posted on 08-Jun-2015 04:13 PM
राजधानी दिल्ली का तापमान गत महीने में ही जब 47 डिग्री सेल्शियस को पार कर गया तो आगामी दो माह में किन परिस्थितियों से गुजरना होगा, इसका अनुमान हम आसानी से लगा सकते हैं। इन दिनों जहां आकाश मार्ग से भगवान सूर्य गर्मी के अंगारों की वर्षा करते हैं वहीं मानव निर्मित साधन भी उसी के द्वारा जोडे गए जन-धन को मिनटों में ही चट कर जाते हैं। लोग अपने जीवन की कमाई का एक बडा हिस्सा लगा कर अपने सपनों को पूरा करने हेतु जो भवन फेक्ट्री ऑफिस गाडी या घर किसी तरह तैयार करते हैं वे जरा सी असावधानी से चंद मिनटों के मेहमान रह जाते हैं। इतना हो तब भी सहा जा सकता है किन्तु सम्पत्ति के साथ-साथ जब अनगिनत लोगों की जान भी चली जाती है तब पश्चाताप होता है कि काश! हमने भी सावधानी बरती होती तो शायद ये दिन हमें नहीं देखने पडते।
जैसा कि हर वर्ष देखने में आता है, गर्मी ने दस्तक दी नहीं, कि जगह-जगह आग लगने का सिलसिला शुरू हुआ नहीं। इस बार भी गत 22 मई को ही राजधानी दिल्ली में एक ही दिन में तीन जगह आग लगी। लगभग चार दर्जन अग्नि शामक गाडियों (फायर टेंडर) ने घण्टों जूझकर आग पर तो किसी तरह काबू पा लिया किन्तु जान-माल की हानि जो हुई क्या उसकी भरपाई कोई कर पाएगा? नहीं! किंतु, यदि हम तैयार हैं तो निश्चित रूप से इन हादसों को रोकने या उनका प्रभाव न्यूनतम करने में अपनी अहम भूमिका निभा सकते हैं। अपने रोजमर्रा की दिनचर्या में यदि हम कुछ भूलों, असावधानियों या लापरवाहियों पर काबू पा लें तो न सिर्फ अपने खर्चों में कटौती कर सकते हैं बल्कि अनेक बडी दुर्घटनाओं और शारीरिक कष्टों से आसानी से छुटकारा पा सकते हैं। इससे न सिर्फ हम स्वयं बल्कि अपने पडोसी को भी सुरक्षित जीवन दे सकते हैं-
1. बिजली के मेन स्विच, पैन्ट्री हीटर तथा अन्य ऐसे उपकरणों जिनसे आग लगने का खतरा हो, से कागज, प्लास्टिक, कपडा इत्यादि ज्वलनशील वस्तुओं को दूर रखें।
2. बिजली के लोड को निर्धारित सीमा (सेंक्शण्ड लिमिट) में रखें जिससे बिजली की फिटिंग, मीटर या सप्लाई लाइन पर अनुचित दबाव से होने वाले खतरों से बचा जा सके।
3. अपने प्रतिष्ठान या घर के बिजली की फिटिंग या वाइरिंग की समय-समय पर जांच करते रहें जिससे शौर्ट सर्किट के कारण कोई हादसा न होने पाए।
4. अग्नि शमन यंत्रों (फायर फाइटिंग ईक्विपमेंट्स) तथा प्राथमिक उपचार यंत्रों की क्षमताध्अंतिम तिथि(एक्सपाइरी डेट) की नियमित जांच करते रहें जिससे आपातकाल में वे काम आ सकें। इसके अलावा वहां रहने या काम करने वाले व्यक्तियों को उन यंत्रों को चलाने का उचित प्रशिक्षण भी अवश्य दें जिससे किसी भी हादसे के समय उनका उपयोग किया जा सके। बडों के साथ-साथ आवश्यकतानुसार आग बुझाने के छोटे सिलेंडरों का भी प्रयोग करें।
5. भवन में कहीं भी जलती हुई बीडी, सिगरेट के टुकडे या माचिस की तीली इत्यादि को न फेंकें। ऐसे स्थानों पर धूम्रपान पर पूर्ण प्रतिबन्ध हादसों को रोकने में सदा सहायक रहता है। एलपीजीध्सीएनजी गैस या उसके सिलेंडरों का प्रयोग ऑफिसों में या तो बिल्कुल ना करें अन्यथा बहुत सावधानी पूर्वक नियत मानदण्डों के अनुरूप ही करें।
6. आग लगने की स्थिति में लिफ्ट की सेवाएँ न लें तथा गीला रूमाल या कपडे का प्रयोग करें जिससे सांस लेने में तकलीफ न हों।
7. सायंकाल अपने व्यावसायिक प्रतिष्ठान को बढाने(बन्द करने) से पूर्व यह सुनिश्चित कर लें कि वहां लगे कम्प्यूटर, यूपीएस, टीवी, एयर कंडीशनर, हीटर, फोटो कॉपीयर इत्यादि सब ठीक तरह से बन्द कर दिए गए हैं।
8. ऑफिस फैक्ट्री छोडने से पूर्व यह भी सुनिश्चित कर लें कि बिजली के सभी मेन स्विच ठीक से बन्द हैं जिससे बिजली की अनावश्यक खपत पर भी अंकुश लगेगा और हमारी अनुपस्थिति में हो सकने वाली दुर्घटनाओं से भी मुक्ति मिलेगी।
ठहरिये! उपर्युक्त को पढने के बाद आपको शायद लग रहा होगा ये कोई नई बात नहीं हैं। इनको तो हम पहले से ही जानते हैं। इनमें नया क्या है? किन्तु सावधान! पढने और जानने के बाद कृपया अपने अंतर्मन से यह पूछना न भूलें कि उपरोक्त में से कितनी बातों का पालन मैं स्वयं और मेरा परिवार, पडोसी, मित्र, सहकर्मी, कर्मचारी, बॉस या मालिक करता है? अगर इनमें से कोई एक भी कमजोर कडी निकली, तो समझ लेना कि आप भी कम खतरे में नहीं हैं और आज (अभी) से ही आपको ये बातें पोलियो की खुराक की तरह सब को पिलानी पडेंगीं। तभी, हम सब भारत बासी गर्मी के भीषण हादसों पर रोक लगा कर सुरक्षित व समृद्ध भारत के निर्माण में अपना योगदान सुनिश्चित कर सकेंगे।
विनोद बंसल
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