Posted on 11-May-2015 11:17 AM
ईंधन में चिंगारी लगने से वह जल उठता है, इससे ताप अर्थात गर्मी, लपट और प्रकाश उत्पन्न होता है। इसे ही आग कहते हैं। प्रायः लकड़ी, कोयला आदि ईंधन जब आग की चिंगारी लगने से हवा में मिली आॅक्सीजन की सहायता से जल उठते हैं, तब इसे आग लगना कहा जाता है।
आग बुझाने की क्रिया को समझने से पहले यह जानना जरूरी है कि आग लगती कैसे है ? आग जलाने के लिए तीन चीजों का होना आवश्यक है। 1. किसी जलने वाली वस्तु, जैसे लकड़ी, कोयला, कागज़ आदि का होना। 2. आग जलने के लिए आॅक्सीजन गैस का होना। 3. ऊष्मा यानी गर्मी का होना। ऊष्मा द्वारा ही जलने वाली वस्तु अपने ज्वलनांक तक पहुंचती है। हर वस्तु एक निश्चित तापमान पर जलने लगती है। इसी तापमान को वस्तु का ज्वलनांक कहते हैं। जब वस्तु का तापमान ज्वलनांक तक पहुंच जाता है, तब वस्तु में आग लग जाती है, जो वायुमंडल की आॅक्सीजन की सहायता से जलती ही रहती है। पेट्रोल का ज्वलनांक कम होता है, जबकि कोयले का ज्वलनांक उससे कहीं अधिक होता है। आग बुझाने के लिए यदि आग के पास से जलने वाली वस्तुओं को दूर कर दिया जाए, आॅक्सीजन का ईंधन तक पहुंचना बंद कर दिया जाए, तब आग बुझ जाएगी, क्योंकि कोई भी वस्तु बिना आॅक्सीजन के नहीं जल सकती। यदि दूसरे किसी भी तरीके से ईंधन का तापमान कम कर दिया तो आग बुझ जायगी। वस्तु एक निश्चित तापमान पर जलने लगती है। इसी तापमान को वस्तु का ज्वलनांक कहते हैं। जब वस्तु का तापमान ज्वलनांक तक पहुंच जाता है, तब वस्तु में आग लग जाती है, जो वायुमंडल की आॅक्सीजन की सहायता से जलती ही रहती है। पेट्रोल का ज्वलनांक कम होता है, जबकि कोयले का ज्वलनांक उससे कहीं अधिक होता है। आग बुझाने के लिए यदि आग के पास से जलने वाली वस्तुओं को दूर कर दिया जाए, आॅक्सीजन का ईंधन तक पहुंचना बंद कर दिया जाए, तब आग बुझ जाएगी, क्योंकि कोई भी वस्तु बिना आॅक्सीजन के नहीं जल सकती। यदि दूसरे किसी भी तरीके से ईंधन का तापमान कम कर दिया तो आग बुझ जायगी।