Posted on 09-Jan-2016 03:39 PM
हृदय हमारे शरीर का महत्वपूर्ण अंग है। हमारे शरीर में यह छाती के मध्य में, थोड़ी सी बाईं ओर स्थित होता है। हमारा दिन एक दिन में लगभग एक लाख बार धड़कता है, यानी हर मिनट में 60-90 बार। और यह हर धड़कन के साथ शरीर में रक्त को आगे धकेलता है। हृदय को पोषण एवं आॅक्सीजन रक्त के द्वारा मिलता है जो कोरोनरी धमनियां इसे प्रदान करती है।मिनट में 60-90 बार। और यह हर धड़कन के साथ शरीर में रक्त को आगे धकेलता है। हृदय को पोषण एवं आॅक्सीजन रक्त के द्वारा मिलता है जो कोरोनरी धमनियां इसे प्रदान करती है।है।
हमारा हृदय दो भागों में विभाजित होता है -दायां (सीधी तरफ) एवं बायां (उल्टी ओर)। हृदय के दाएं और बाएं दोनों ओर एट्रिअम एवं वेट्रिकल नाम के दो चैम्बर होते हैं। कुल मिलाकर हृदय में चार चैम्बर होते हैं। दाहिना भाग शरीर से दूषित रक्त प्राप्त करता है एवं उसे फेफड़ों में पम्प करता है और रक्त फेफड़ों में शुद्ध होकर हृदय के बाएं भाग में वापस लौटता है। यहां से रक्त शरीर में वापस पम्प कर दिया जाता है। चार वाल्व,दो बायीं ओर (मिट्रल एवं एओर्टिक) एवं दो हृदय की दायीं ओर (पल्मोनरी एवं ट्राइक्यूस्पिड) रक्त के बहाव को निर्देशित करने के लिए एक -दिश के द्वार की तरह कार्य करते हैं।
कितनी रफ्तार है आजकल की जिंदगी में। हमारे दिल को भी इस रफ्तार के साथ कदमताल करनी पड़ती है। अनियमित और असंतुलित आहार, सही तरह से आराम न कर पाना, फास्टफूड, जंकफूड, व्यायाम न करना आदि से हमारे शरीर पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इससे हमारे शरीर में कोलेस्ट्रोल की मात्रा बढ़ जाती है, जिसे आधुनिक चिकित्सा विभाग में (एल.डी.एल., वी.एल.डी.एल) कहा जाता है। कोलेस्ट्रोल के बढ़ जाने से इसकी परत धमनियों और शिराओं में जम जाती है, जिसके कारण धमनियों और शिराओं को क्षति पहुंचती है। इसके साथ ही उनकी दीवारों पर थ्रोम्बोसाइट (बिंबाणु) जाकर चिपक जाते हैं, जिसके कारण धमनियां और शिराएं सिकुड जाती हैं। इससे शरीर के महत्वपूर्ण अंग जैसे हृदय, फेफड़े और किडनी, मस्तिक इत्यादि में रक्त संचार की कमी के कारण इन अंगों में स्थाई क्षति हो सकती है, जिन्हें आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में स्ट्रोक, एन्जायना, स्चिमिया, मायोकार्डियल इंफैक्शन इत्यादि के नाम से सम्बोधित किया जाता है। इन सभी स्थितियों में अल्पायु में ही आप दवाओं पर निर्भर हो जाते हैं, इसके बाद आपको सलाह दी जाती है अधिक श्रम न करें, भार न उठायें, भागदौड़ न करें। हृदय, फेफड़े और किडनी, मस्तिक इत्यादि में रक्त संचार की कमी के कारण इन अंगों में स्थाई क्षति हो सकती है, जिन्हें आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में स्ट्रोक, एन्जायना, स्चिमिया, मायोकार्डियल इंफैक्शन इत्यादि के नाम से सम्बोधित किया जाता है। इन सभी स्थितियों में अल्पायु में ही आप दवाओं पर निर्भर हो जाते हैं, इसके बाद आपको सलाह दी जाती है अधिक श्रम न करें, भार न उठायें, भागदौड़ न करें।
हृदय रोग का सबसे बड़ा कारण अपच (इनडायजेशन) हो सकता है, क्यांेकि जिन लोगों को भोजन ठीक से पचता नहीं, उन्हीं के रक्त मंे खराब कोलेस्ट्रोल की मात्रा बढ़ती है। हृदय रोग का एक कारण हे शरीर में वात दोष का बढ़ना तथा रक्त की अम्लता (एसिडिटी) भी हो सकता है। जन्मजात हृदय रोग, जन्म के समय हृदय की संरचना की खराबी के कारण होता है। जन्मजात हृदय की खराबियां हृदय मंे जाने वाले रक्त के सामान्य प्रवाह को बदल देती है। जन्मजात हृदय की खराबियों के कई प्रकार होते हैं, जिसमें मामूली से गंभीर प्रकार तक की बीमारियां शामिल हैं।
हृदय समस्याओं के कई कारण हो सकते हैं जिनमें आपकी उम्र, आपका लिंग, धूम्रपान, अनियंत्रित खानपान, उच्च रक्तचाप, उच्च रक्त कोलेस्ट्रोल स्तर, मधुमेह, मोटापा, अस्वच्छता और मानसिक तनाव मुख्य है।
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