Posted on 24-May-2015 03:57 PM
हृदय एक अत्यंत महत्वपूर्ण अंग हैं। इसके बिना हम जीवित नहीं रह सकते। परन्तु जब आप इसके विषय में जानकारी प्राप्त करते हैं तो पाते हैं कि यह एक पम्प मात्र हैं। एक जटिल और महत्वपूर्ण पम्प जो अन्य पम्पों की ही भाँति बंद भी होता है और जिसमें टूट-फूट भी होती है। अतः यह जानना बहुत जरूरी है कि यह किस प्रकार कार्य करता है।
यह खोखला व शंकु के आकार का होता है जो फेफड़ों के बीच व स्टर्नम (सीने की हड्डी) के पीछे उपस्थित होता है। इसका दो-तिहाई भाग बायीं साइड व एक-तिहाई भाग दायीं साइड व एक-तिहाई भाग दायीं साइड होता है इसका आकार व्यक्ति की मुट्ठी के बराबर होता है।
मानव शरीर में बहुत सी पेशियाँ पायी जाती हैं परन्तु हृदय पेशी अपने कार्याें के कारण विशेष प्रकार की होती है। हृदय हमारे समस्त शरीर में रक्त संचार करता है। रक्त से हमारे शरीर को आॅक्सीजन मिलती है। रक्त के द्वारा ही शरीर को आवश्यक पौष्टिक तत्व मिलते हैं व अनुपयोगी पदार्थाे को दूर किया जाता हैं। हमारा हृदय एक पम्प की भाँति है या दो जुड़े पम्पों का योग है। हृदय का दायां भाग शरीर से रक्त प्राप्त करता है और फेफड़ों को भेज देता है। जबकि बायां भाग ठीक इसके विपरीत कार्य करता है। यह फेफड़ों से रक्त प्राप्त कर समस्त शरीर को पहुँचाता है। प्रत्येक धड़कन से पूर्व, रक्त हृदय में प्रवेश कर जाता है। अब इसकी पेशियाँ सिकुड़ती हैं एवं रक्त शरीर में पहुँच जाता है।
हृदय में तीन स्तर होते हैं। इसकी आंतरिक चिकनी सतह को एन्डोकार्डियम कहते हैं। हृदय की मध्य पेशी को मायोकार्डियम कहते हैं। इसके चारों ओर तरल पदार्थ से भरी थैली होती है जिसको पेरीकार्डियम कहते हैं। हृदय में रक्त से भरे चार भाग होते हैं जिनको चैम्बर कहा जाता हैं। हृदय के प्रत्येक साइड मं दो चैम्बर होते हैं। एक चैम्बर ऊपर और एक नीचे होता है। ऊपर वाले चैम्बर को अटनिया और अटरियम कहते हैं। अटरिया वे चैम्बर हैं जिनमें शरीर से प्राप्त रक्त जमा होता है। एक अटरिया दायीं ओर और एक बायीं ओर होता है।
नीचे की ओर पाये जाने वाले चैम्बर्स को वैंट्रिकिल्स कहते हैं। हृदय में एक वैंट्रिकिल दायीं ओर व दूसरा बायीं ओर होता है इनका कार्य रक्त को शरीर में पहुँचाना होता हैं। हृदय के बीच में एक मोटी दीवार होती है जिसको सेप्टम कहते हैं इसका कार्य हृदय के दोनों भागों को अलग करना होता है।
अटरिया और वैंट्रिकिल्स दोनांे एक साथ कार्य करते हैं। अटरिया में रक्त भर जाता हैं तो इस रक्त को वैंट्रिकिल्सस में भेज दिया जाता है। वैंट्रिकिल्स में संकुचन होता है और समस्त रक्त शरीर में पहुँच जाता है। वैंट्रिकिल्स के संकुचन के कारण, अटरिया फिर से भर जाते हैं और फिर अगला संकुचन होता है।
पम्पिंग क बाद, यह रक्त चार विशेष वाल्वों के द्वारा हृदय में प्रवेश करता है। यह वाल्व रक्त को अन्दर आने के बाद पुनः बाहर निकलने से रोेके रखता है बिल्कुल वैसे ही जैसे हम दरवाजे में प्रवेश करें और दरवाजा बंद कर लें ताकि अन्दर से कोई बाहर न जा सकें।
हृदय के दो वाल्व और होते हैं जिनको मीटरल और ट्रीसेन्पीड कहते हैं। वे रक्त को अटरिया से वैंट्रिकिल्स की ओर बहने देते हैं। अन्य दो वाल्व ओरटीक व पौल्वनरी वाल्व हैं और ये हृदय से निकलने वाले रक्त के संचार को नियंत्रित करते हैं। ये सभी वाल्व रक्त को पीछे पलटने से रोके रखते हैं। जब ये खुलते हैं तो रक्त आगे दौड़ता है फिर वे तुरन्त बंद हो जाते हैं ताकि रक्त वापस न हो सके।
शरीर को सुचारू रूप से कार्य करने के लिए रक्त की नियंत्रित व लगातार आवश्यकता होती है। रक्त के द्वारा शरीर की सभी कोशिकाओं को आॅक्सीजन प्राप्त होती हैं। जीवित रहने के लिए, व्यक्ति को स्वस्थ एवं जीवित कोशिकाओं की आवश्यकता होती है। आॅक्सीजन के बिना, कोशिकाएं मृत हो जाती हैैं। यदि आॅक्सीजन से युक्त रक्त उचित रूप से संचारित नहीं हो तो मनुष्य की मृत्यु हो सकती हैं। अतः हृदय की उत्तम देखभाल एवं उसके स्वास्थ्य का पूरा ध्यान रखा जाना चाहिए।