Posted on 02-Aug-2016 11:33 AM
श्रीकृ्ष्ण की उपासना अन्य देवों की तुलना में सबसे अधिक की जाती है। श्रीकृष्ण के विषय में यह मान्यता है, कि ईश्वर के सभी तत्व एक ही अवतार अर्थात भगवान श्री कृष्ण में समाहित है। गिरिराज को भगवान श्रीकृष्ण के जन्म उत्सव के अलावा अन्य मुख्य अवसरों पर 56 भोग का नैवेध अर्पित किया जाता है जिसमें पूरी, परांठा, रोटी, चपाती, मक्की की रोटी, साग, अन्य प्रकार की तरकारी, साग, अंकुरित, अन्न,उबाला हुआ भुट्टा या भुना हुआ, सभी प्रकार की दालें, कढी, चावल, मिली-जुली सब्जी, सभी पकवान, मिठाई, पेड़ा, खीर, हलवा, गुलाबजामुन, जलेबी, इमरती, रबड़ी, मीठा दूध, मक्खन, मलाई, मालपुआ, पेठा, मीठी पूरी, कचैरी, समोसा, चावल, बाजरे की खिचड़ी, दलिया,ढोकला, नमकीन, मुरमुरा, भेलपुरी, चीले, (मीठे, नमकीन दोनों), अचार विशेषकर टींट का, चाट, टिक्की, चटनी, आलू ,पालक आदि के पकौड़े, बेसन की पकौड़ी, मठ्ठा, छाछ, लस्सी, रायता, दही, मेवा, मुरब्बा, सलाद, नीम्बू में घिसी हुयी मूली, फल, पापड़, पापडी, पान, इलायची, सौंफ, लौंग, शुद्ध बिस्कुट, गोली, टॉफी, चाकलेट, गोल-गप्पा, उसके खट्टे मीठे जल, मठरी-शक्कर पारा, खील, बताशा, आमपापड़, शहद, सभी प्रकार की गज्जक, मूंगफली,पट्टी, रेवड़ी, गुड,शरबत, जूस, खजूर, कच्चा नारियल का भोग लगाया जाता है।