वेदमाता गायत्री का प्राकट्य दिवस गायत्री जयंती

Posted on 15-Jun-2016 11:48 AM




मां गायत्री को वेदमाता कहा जाता है अर्थात सभी वेदों की उत्पत्ति इन्हीं से हुई है। गायत्री को भारतीय संस्कृति की जननी भी कहा जाता है। धर्म शास्त्रों के अनुसार ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी को मां गायत्री का अवतरण माना जाता है। इस दिन को हम गायत्री जयंती के रूप में मनाते है। इस बार गायत्री जयंती का पर्व 15 जून को है। धर्म ग्रंथों में यह भी लिखा है कि गायत्री उपासना करने वाले की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं तथा उसे कभी किसी वस्तु की कमी नहीं होती। गायत्री से आयु, प्राण, प्रजा, पशु, कीर्ति, धन एवं ब्रह्मवर्चस के सात प्रतिफल अथर्ववेद में बताए गए हैं। ऊँ स्तुता मया वरदा वेदमाता..... जो विधिपूर्वक उपासना करने वाले हर साधक को निश्चित ही प्राप्त होते हैं। विधिपूर्वक की गयी उपासना साधक के चारों ओर एक रक्षा कवच का निर्माण करती है व विपत्तियों के समय उसकी रक्षा करती है। हिंदू धर्म में मां गायत्री को पंचमुखी माना गया है जिसका अर्थ है यह संपूर्ण ब्रह्माण्ड जल, वायु, पृथ्वी, तेज और आकाश के पांच तत्वों से बना है। संसार में जितने भी प्राणी हैं, उनका शरीर भी इन्हीं पांच तत्वों से बना है। इस पृथ्वी पर प्रत्येक जीव के भीतर गायत्री प्राण-शक्ति के रूप में विद्यमान है। यही कारण है गायत्री को सभी शक्तियों का आधार माना गया है इसीलिए भारतीय संस्कृति में आस्था रखने वाले हर प्राणी को प्रतिदिन गायत्री उपासना अवश्य करनी चाहिए। लेकिन कृत्रिम रक्त के बारे में अभी और रिसर्च होना बाकि है। क्योकि इसके साथ अभी और भी बहुत समस्याएं जुडी हुई हैं। जैसे- कृत्रिम रक्त, ब्लड टेस्ट के साथ हस्तक्षेप करता है और इससे परिणाम गलत हो सकते हैं। और यह बहुत जल्दी शरीर से बाहर निकल जाता है। यह ऑक्सीजन का कम कुशल वाहक हैं, मतलब यह सामान्य रक्त की तुलना में, ऑक्सीजन को इसने अच्छे तरीकें से शरीर के विभिन्न भागों तक नहीं पंहुचा पता।


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