Posted on 16-Jul-2015 03:51 PM
चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार तेज एंटीबायोटिक एवं एलोपैथिक दवाएं हमारे शरीर में मौजूद आवश्यक एवं विभिन्न प्रकार के जर्म्स तथा प्रतिरोधी जर्म्स को भी नष्ट कर देती है। फलस्वरूप शरीर में ‘इस्ट’ की मात्रा बढ़ने लगती है और हम विभिन्न प्रकार की एलर्जी के शिकार हो जाते हैं लेकिन लहसुन का प्रयोग करने से शरीर में किसी भी प्रकार का विकार नहीं होता ।
लहसुन को अंग्रेजी में गारलिक कहते है। मसाला होने के साथ-साथ लहसुन में प्रचुर मात्रा में औषधीय गुण भी पाए जाते है। अनेकानेक छोटी-बड़ी बीमारियों का सफल व अचूक इलाज करने की क्षमता रखने के कारण लहसुन को ‘घरेलू वैद्य’ की संज्ञा दी जाती है।
लहसुन रासायनिक तत्वों का भण्डार है। इसमें प्रोटीन की मात्रा 63 प्रतिशत, कार्बोहाइटेªड की मात्रा 29 प्रतिशत, वसा 0.1 प्रतिशत, चूना 0.3 प्रतिशत तथा खनिज लवण व लोहे की मात्रा प्रति 100 ग्राम में 1.3प्रतिशत होती है। इसके अलावा इसमें विटामिन ‘ए’, ‘बी’, ‘सी’, एवं सल्फयूरिक एसिड भी प्रचूर मात्रा में होते है। आयुर्वेद के अनुसार पेट दर्द, ख़ासी, जुकाम, श्वास की परेशानी , सिरदर्द , टी.बी. डिप्थीरिया, चर्मरोग तथा हड्डी की बीमारी में कोई भी व्यक्ति प्रतिदिन कच्चे लहसुन की कलियाँ चबाकर या उसका रस सेवन करके स्वयं को पूर्ण स्वस्थ रख सकता है।
इतने अधिक औषधीय गुणों से युक्त होने पर भी लोगांे द्वारा इसका उपयोग मुख्यतः मसाले के रूप में ही किया जाता है। लहसुन के औषधीय गुण-