सम्पादकीय 8

Posted on 08-May-2015 02:09 PM




समय अपनी गति से निरन्तर चल रहा है या यूं कहे कि वह तेज गति से भाग रहा है। निरंतर गतिमान इस समय के साथ कदम मिलाकर चलने पर ही मानव जीवन की सार्थकता है। इसके साथ कदम से कदम मिलाकर नहीं चलने वाला व्यक्ति पिछड़ जाता है। पिछड़ना सफलता से दूर हटना है, उसकी ओर गतिशील होना नहीं।
जीवन में वही मनुष्य सफल है, जो समय के साथ चलता है। कुछ लोग तो ऐसे दूरदर्शी होते हैं, जो अपने आने वाले समय को पहले ही भाँप लेते हैं। ऐसे व्यक्ति अपनी योजना पहले ही बना लेते हैं तथा प्रत्येक कसौटी पर सफल होते हैं। मनुष्य को समय के साथ आगे बढ़ते हुए अपना काम पूरा करते रहना चाहिए। कल के भरोसे काम को छोड़ना समस्याओं को आमंत्रित करना है। जिस व्यक्ति ने समय की उपयोगिता को समझ लिया है, वह सफलता को अवश्य हासिल करता है।
प्रत्येक मनुष्य को अपनी दिनचर्या की समय सारिणी अथवा तालिका को बनाकर उसका पूरी दृढ़ता से पालन करना चाहिए। जिस व्यक्ति ने अपने समय का सही उपयोग करना सीख लिया, उसके लिए कोई कार्य असंभव नहीं है। कुछ लोगोें को अकर्मण्य रहकर निठल्ले समय बिताना अच्छा लगता है। वे अकर्मण्यता और आलस्य को समय की कमी के बहाने छिपाते हैं।
समय को जिन्दगी के समान माना गया है, कहते है कि अगर आप समय को बर्बाद कर रहे हैं तो जिन्दगी को बर्बाद कर रहे हैं, अगर आप समय का अच्छा प्रयोग कर रहे हैं तो अपनी जिन्दगी को अच्छा बना रहे है।
समय को भगवान की बनाई हुई इस सृष्टि में सबसे बलवान माना गया है, जब ये बदलता है तो इंसान को राजा से रंक और रंक से राजा बना सकता है। व्यक्ति के जीवन में कुछ ऐसे क्षण आते हैें, जिनसे उसके भाग्य का बनना और बिगड़ना तय होता है। अगर व्यक्ति ने समय की सही दिशा या गति को समझ लिया, तब तो वह सफल हो गया, अन्यथा उसके हाथ केवल असफलता ही लगेगी।
प्रकृति में प्रत्येक वस्तु का समय निश्चित है। यदि प्रकृति भी आलसी औेर अकर्मण्य लोगों की भांति कार्य करना बन्द कर दे तो सम्पूर्ण सृष्टि का समय चक्र बदल जाएगा तथा प्रकृति विनाश की ओर आरूढ़ हो जाएगी। यदि विद्यार्थी केवल परीक्षा के समय परिश्रम करेगा और शेष दिन आराम करेगा तो उसे वांछित सफलता नहीं मिल सकती । अतः हम कह सकते है कि मानव जीवन का सबसे बड़ा नियामक घटक समय ही है।


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