Posted on 12-Jun-2016 11:09 AM
पितृ दोष के कारण परिवार में किसी की अकाल मृत्यु होने से, अपने माता-पिता आदि सम्माननीय जनों का अपमान करने से, मरने के बाद माता-पिता का उचित ढंग से क्रियाकर्म और श्राद्ध न करने से, उनके निर्मित वार्षिक श्राद्ध न करने से पितरों का दोष लगता है। इसके फलस्वरूप परिवार में अशांति, वंश वृद्धि में रूकावट, आकस्मिक बीमारी, संकट, धन में बरकत न होना, सारी सुख सुविधाए होते हुए भी मन असंतुष्ट रहना आदि पितृ दोष का कारण हो सकता है। पितृ दोष कुंडली योग यदि किसी जातक की कुंडली में पितृदोष होता है तो उसे अनेक प्रकार की परेशानियां, हानियां उठानी पड़ती है। घर में कलह, अशांति रहती है। रोग-पीड़ां पीछा नहीं छोड़ती है। घर में आपसी मतभेद बने रहते हैं। कार्यों में अनेक प्रकार की बाधां उत्पन्न होती है। अकाल मृत्यु का भय बना रहता है। संकट, अनहोनियां, अमंगल की आशंका बनी रहती है। संतान की प्राप्ति में विलंब होता है। घर में धन का अभाव भी रहता है। अनेक प्रकार के महादुखों का सामना करना पड़ता है। पितृदोष के लक्षण - घर में आय की अपेक्षा खर्च बहुत अधिक होता है। घर में लोगों के विचार नहीं मिल पाते जिसके कारण घर मे झगडे होते रहते हैं। अच्छी आय होने पर भी घर में बरकत नहीं होती जिसके कारण धन कत्रित नहीं हो पाता। संतान के विवाह में काफी परेशानियां और विलंब होता है। शुभ तथा मांगलिक कार्यों में काफी दिक्कते उठानी पड़ती है। अथक परिश्रम के बाद भी थोड़ा-बहुत फल मिलता है। बने-बना काम को बिगड़ते देर नहीं लगती।