Posted on 03-Jun-2016 09:48 AM
यूनान में आल्सिबाएदीस नामक एक बहुत बड़ा संपन्न जमींदार था । उसकी जमींदारी बहुत बड़ी थी । उसे अपने धन-वैभव एवं जागीर पर बहुत अधिक गर्व था । वह इसका वर्णन करते हुए थकता नहीं था । एक दिन वह प्रसिद्ध दार्शनिक सुकरात के पास जा पहुँचा और अपने ऐश्वर्य का वर्णन करने लगा । सुकरात उसकी बातें कुछ देर तक सुनते रहे । फिर उन्होंने पृथ्वी का एक नक्शा मँगवाया । नक्शा फैला कर उन्होंने आल्सिबाएदीस से पूछा- अपना यूनान देश इस नक्शे में कहाँ है ? जमींदार कुछ देर तक नक्शा देखने के बाद एक जगह अंगुली रख कर बोला- अपना यूनान देश यह रहा । सुकरात ने पुनः पूछा - और अपना एटिका राज्य कहाँ है ?बड़ी कठिनाई के बाद जमींदार एटिका राज्य को ढूंढ सका । अच्छा, इसमें आपकी जागीर की भूमि कहाँ है ? सुकरात ने एक बार फिर पूछा । अब जमींदार कुछ सकपका गया । वह बोला- आप भी खूब हैं, इस नक्शे में इतनी छोटी-सी जागीर कैसे बताई जा सकती है ? तब सुकरात ने कहा - भाई ! इतने बड़े नक्शे में जिस भूमि के लिए एक बिन्दु भी नहीं रखा जा सकता उस नन्ही -सी भूमि पर आप गर्व करते हैं ? इस पूरे ब्रह्माण्ड में आपकी भूमि और आप कहाँ कितने हैं, जरा यह भी तो सोचिये । सुकरात के मुंह से यह सुनते ही आल्सिबाएदीस का अपनी जागीर और सम्पति पर जो गर्व था चकनाचूर हो गया। व्यक्ति को अपनी धन-संपदा का बखान तथा उस पर गर्व नहीं करना चाहिए ।