शांति छिपी है-हमारे मन में

Posted on 07-Jun-2015 03:19 PM




क्या आप शांति चाहते है? यदि हाँ, तो यह जरा भी कठिन नहीं है। इसका बहुत छोटा-सा उपाय है। उपाय यह है कि इसकी खोज करना बन्द कर दिया जाए। इसके सारे बाहरी आधारों को गिरा दीजिए और अब इसे अपने अन्दर ढूँढ़ना शुरू कर दीजिए। देखिए, आपकी उससे मुलाकात होती है या नहीं। निश्चित रूप से होेगी। देर भले ही हो जाए, लेकिन होगी जरूर।
    शांति के लिए न तो किसी साधना की जरूरत है और न ही किसी दर्शनशास्त्र की। यह तो महज हमारे मन की एक स्थिति भर है। जैसे ही हम मन की चंचलता पर नियंत्रण पा लेते हैं, अपने अन्दर शांति के लिए कैनवास तैयार कर लेते हैं और उस पर अप्रतिम सौन्दर्य की लकीरें उभरनी शुरू हो जाती हैं। सच यही है कि जब हम अपने इसी आंतरिक सौन्दर्य का साक्षात्कार करते हैं, तो यही सौन्दर्य-दर्शन हमारी शांति का कारण बनता है।
यहाँ हमें इस बात को अच्छी तरह समझ लेना चाहिए कि शांति कभी भी शून्य में नहीं मिलती। इसे भी कोई-न-कोई आधार चाहिए ही। निश्चित रूप से अपने अन्तर्मन में किसी सौन्दर्य की अनुभूति करना सबसे उत्तम, सबसे पुख्ता और सबसे सरल आधार हो सकता है। इसलिए यदि आपको शांति चाहिए, तो आंतरिक सौन्दर्य की खोज कीजिए, शांति की नहीं। बाहरी खोज से यह मिलने वाली नहीं है।


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