Posted on 03-Aug-2016 11:48 AM
यह प्रकट सत्य है कि मरने वाले के साथ कोई नहीं मरता और व्यक्ति को अकेले ही यह यात्रा करनी होती है। परिवार के सभी सदस्य रोते कलपते रह जाते हैं, और कोई कितना ही आत्मीय हो, वह मरने वाले के साथ नहीं जाता। मनुष्य मरते समय परिवार की ही क्या, संसार के सभी पदार्थ यहाँ तक कि खुद अपने शरीर तक को छोड़ने पर विवश हो जाता। लेकिन ज्ञानी पुरुषों का परिवार अलग ही होता है और मृत्यु के बाद भी उनके साथ ही जाता है। उनके परिवार में धर्म उनका पिता, पवित्रता उनकी माता, स्नेह उनका भाई, कर्म उनका पुत्र, शांति उनकी पत्नी, दया उनकी बहिन, करुणा व क्षमा उनकी पुत्रियाँ और उपासक भाव उनका जीवन होता है, और मृत्यु के बाद यह पूरा परिवार उनके साथ ही जाता है। सांसारिक परिवार के साथ ही हमें इस आदर्श परिवार के निर्माण का भी सतत् प्रयत्न करते रहना चाहिए, ताकि हमें निपट अकेले ही यह यात्रा न करनी पड़े।