Posted on 08-Jun-2015 04:03 PM
क्रोध-मुक्ति का एक उपाय है: ‘बोधपूर्वक बोले और कार्य करो।’ अगर आपको लगे कि बिना बोले काम नहीं चलेगा तो आप सावधानी से अपनी बात को व्यक्त करें। सामने वाला भले ही समझे कि आप गुस्सा कर रहे हैं पर आप भीतर से सचेत रहें। आपका गुस्सा किसी भी तरह से कोई नुकसान न कर बैठे। हम कई बार ट्रकों के पीछे लिखी हुई बड़ी अच्छी बातें को पढ़ा करते हैं। एक बात मैंने कई ट्रकों के पीछे पढ़ी है - ‘देखो मगर प्यार से’ गुस्से के साथ भी उसी को जोड़ लो। गुस्सा भी करो तो प्यार से करो। जैसे ही अंतर्मन में प्यार उभरेगा तो गुस्सा अपने आप गायब हो जाएगा। गुस्से से बचने के लिए एक और उपाय किया जा सकता है। किसी अन्य कार्य में लग जाएँ। किसी अन्य कार्य से स्वयं को जोड़ दें। थोड़ी देर के लिए किसी आस-पड़ोस के घर में चले जाएँ अथवा किसी अन्य स्थान या व्यक्ति के पास चले जाएँ, जहाँ आपकी मनःस्थिति बदल सकती है। सावधान रहें जब आप गुस्सें में हों तो भोजन न करें। इससे मनोवेगों में उत्तेजना आती है और वह भोजन हमारे लिए हानिकारक हो जाता है। थोड़ी देर विश्राम करें, फिर शांत मन से भोजन करें। ध्यान रखें, गुस्सा करने के बाद अगर आप भोजन कर रहें हैं तो भोजन को थोड़ा ज्यादा चबा-चबाकर खाएँ ताकि आपके क्रोध की ऊर्जा चबाने में खर्च हो जाए और आपका क्रोध शांत हो जाए। कई बार परिस्थिति के अनुसार व्यक्ति को निर्णय करना पड़ता है कि कितनी मात्रा में क्रोध किया जाए अथवा न किया जाए। कभी-कभी क्रोध प्रकट करना आवश्यक भी हो जाता है और कभी-कभी बड़ा हानिकारक, पर लंबे अरसे तक क्रोध को दबाकर रखना भी हानिकारक है। क्योंकि ऐसी स्थिति में क्रोध हमारे मानसिक संतुलन को बिगाड़ देता है।