Posted on 29-Jul-2016 12:36 PM
अम्मा हुईं आज बीमार, लगा आफतों का अंबार। सबको चाय पिलाए कौन, रोटी आज बनाए कौन। पापा को आॅफिस जाना, लंच पैक भी ले जाना। बैठे सर पर हाथ धरे, सबके मुंह उतरे-उतरे। ब्रेक फास्ट ना बन पाया, मैं शाला ना जा पाया। गुड़िया की है लाचारी, कौन कराए तैयारी। पर उसने हिम्मत बांधी, उठी चल पड़ीं बन आंधी। बोली चाय बनाती हूं, सबको अभी पिलाती हूं। उठो-उठो सब काम करो, नहीं काम से कभी डरो। सब पर भूत सवार हुआ, किचिन रूम गुलजार हुआ। खाना बहुत लजीज बना, रखा लंच अपना-अपना। पापा आॅफिस जाएंगे, हम भी दौड़ लगाएंगे।
-प्रभुदयाल श्रीवास्तव