Posted on 25-Jun-2016 10:52 AM
कठिनाइयों के बीच से गुजरे बिना मनुष्य का व्यक्तित्व अपने पूर्ण चमत्कार में नहीं आता और कठिनाइयाँ एक ऐसी खराद की तरह है जो मनुष्य के व्यक्तित्व को तराशकर चमका दिया करती हैं। कठिनाइयाँ मनुष्य-जीवन के लिए वरदान रूप ही होती हैं, साधारणतया महापुरुषों का सृजन कठिनाइयों की आग में तपने के बाद ही होता है। उन्नति की इच्छा रखने वालों को साहस संचय करके आगे बढ़ते रहना चाहिए। बिना साहस किए और खतरा मोल लिए न तो कोई आज तक आगे बढ़ पाया है और न आगे ही उन्नति कर सकेगा। हमें अपनी विजय पर अखण्ड विश्वास होना चाहिए और अपनी शक्तियों पर अटल भरोसा भी होना चाहिए। आशा इच्छा से अधिक बलवती होती है। मनुष्य जैसा सोचता है, वैसा बन जाता है। वेदना, दुःख और अवसाद जीवन की परछाइयाँ हैं। मनुष्य को चाहिए कि वह अपने पथ पर सावधानी के साथ चलता रहे। जो आशान्वित हैं, उत्साही हैं और उद्योगी हैं, अमंगल तथा अनिष्ट उनके मार्ग को नहीं रोक सकते। आपत्तियां संसार का स्वाभाविक धर्म है। जीवन एक संग्राम है और विपत्ति वह खराद है जिससे परमात्मा अपने रत्नों की चमक बढ़ाता है। कठिनाइयों में ही धीरज एवं जीवन-दर्शन की परीक्षा होती है। जो दृढ विश्वास रखता है कि वह महान् बनने के लिए ही पैदा हुआ है, वह महान् बनकर ही रहेगा, दृढ़-निश्चयी को मार्ग देने के लिए पहाड़ों को भी अलग हटना पड़ेगा।