पूजा धन या महात्मा की

Posted on 13-Jul-2016 12:32 PM




एक मित्र आए और कहा - ’एक बहुत बड़े महात्मा आये हुए हैं, आप दर्शनार्थ चलेंगे ?’ मैंने कहा - ’वे बड़े महात्मा है, यह तुम्हें कैसे पता चला ?’ मित्र ने कहा- ’खुद जयपुर-महाराज उनके पैर छूते हैं।’ तो मैंने कहा-’इससे तो जयपुर-महाराज बड़े होते हैं, महात्मा तो बड़े नहीं हुए। अगर जयपुर-महाराज पैर न छुएँ तो ? तो महात्मा छोटे हो जाएँगे ? जयपुर-महाराज बड़े हैं क्योंकि अथाह धन उनके पास है, इससे वे जिस महात्मा के पैर छूते हैं वह महात्मा भी बड़ा है। इसके भीतर गहरे में महत्त्वपूर्ण क्या है ? धन। इसमें महात्मा का कुछ लेना-देना नहीं है। धन यहाँ महिमापूर्ण है। अगर कोई बुद्धिमान् या सज्जन मगर साधारण आदमी महात्मा के पैर छू लेता है तो महात्मा बड़े नहीं कहलाते ? क्योंकि मापदण्ड धन है।’


Leave a Comment:

Login to write comments.