आखिर क्यों होते है माला में 108 मोती

Posted on 31-May-2016 02:53 PM




आखिर क्यों होते है माला में 108 मोती

पहला कारण है सूर्य की कलाए :-

माला के 108 दाने और सूर्य की कलाओं का गहरा संबंध है। एक वर्ष में सूर्य 216000 कलाएं बदलता है और वर्ष में दो बार अपनी स्थिति भी बदलता है। छह माह उत्तरायण रहता है और छह माह दक्षिणायन। अतः सूर्य छह माह की एक स्थिति में 108000 बार कलाएं बदलता है। इसी संख्या 108000 से अंतिम तीन शून्य हटाकर माला के 108 मोती निर्धारित किए गए हैं। माला का एक-एक मोती सूर्य की एक-एक कला का प्रतीक है। सूर्य ही व्यक्ति को तेजस्वी बनाता है, सूर्य ही एकमात्र साक्षात दिखने वाले देवता हैं, इसी वजह से सूर्य की कलाओं के आधार पर मोती की संख्या 108 निर्धारित की गई है। दूसरा कारण है राशियों की संख्या:- माला के दानों की संख्या 108 संपूर्ण ब्रह्मांड का प्रतिनिधित्व करती है। ज्योतिष के अनुसार सम्पूर्ण ब्रह्मांड को 12 भागों (राशियों) में विभाजित किया गया है। इन 12 भागों (राशियों) के नाम मेष, वृष, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुंभ और मीन हैं। इन 12 राशियों में नौ ग्रह सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु विचरण करते हैं। अत: विचरण ग्रहों की संख्या 9 का गुणा 12 राशियों की संख्या में किया जाए तो संख्या 108 प्राप्त हो जाती है। ज्योतिष के अनुसार इसी संख्या के आधार पर जप की माला में 108 मोती होते हैं। तीसरा कारण है

 नक्षत्रों की संख्यां, ऋषियों की मान्यता के अनुसारः-

एक अन्य मान्यता के अनुसार ऋषियों ने में माला में 108 दाने रखने के पीछे ज्योतिषी कारण बताया है। शास्त्रों के अनुसार कुल 27 नक्षत्र बताए गए हैं। हर नक्षत्र के 4 चरण होते हैं और 27 नक्षत्रों के कुल चरण 108 ही होते हैं। माला का एक-एक मोती नक्षत्र के एक-एक चरण का प्रतिनिधित्व करता है।


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