Posted on 04-Jun-2016 11:43 AM
’शब्द’ ये शब्द ही तो हैं, जो हमें किसी के भी पास कर सकते हैं और चाहे तो किसी से भी दूर। इन शब्दों में बड़ी ताकत है। ये किसी के मन को शीतलता प्रदान कर सकते हैं, तो किसी के मन को भस्म तक कर सकते हैं। इस ’शब्द’ की व्याख्या करते हुए कबीर दास ने कहा है - ’शब्द’ शब्द सब कोई कहै, शब्द का करो विचार एक शब्द शीत करे, एक शब्द दे जार। मनुष्य के जन्म से मृत्यु के बीच का समय ऐसा होता है, जिसमें वह चाहे तो अपनी मीठी वाणी से सांप जैसे भयंकर मनुष्य के अहंकार रूपी विष को उतार सकता है। किसी दुश्मन को भी अपना बना सकता है। तभी तो ठीक ही कहा गया है कि ’बोलने से पहले शब्दों को तोलना चाहिए’ शब्द गिने नहीं तौले जाने चाहिए। ’शब्द बराबर धन नहीं, जो कोई जाने बोल हीरा तो दामों मिले, शब्दहिं मोल न तोल।’