Posted on 12-May-2015 12:39 PM
अपना समय बदलने की मन्नत पूरी होने पर एक भक्त ने करीब 14 साल पहले सगस बाऊजी का देवरा में एक घड़ी चढ़ाई थी। उसके बाद से हर साल वहां हजारों भक्त पहुंचने लगे और काम बनने पर घड़ी भेंट करने का सिलसिला चल पड़ा।
हालत यह है कि चढ़ावे में आई घडि़यों का यहां अंबार लग गया है। यह स्थान अब घड़ी वाले बावजी के नाम से ही जाना जाने लगा है। रविवार व चतुर्दशी को काफी संख्या में भक्त यहां पहुंचते हैं।
भगवान के दर पर भक्त श्रद्धानुसार प्रसादी से लेकर धन दौलत तक अर्पित करते हैं, पर मंदसोर जिला मुख्यालय से करीब 25
किमी दूर धमनार नगरी मार्ग पर स्थित सगस बावजी का देवरा की बात बिल्कुल अलग है। यहां भक्त प्रसाद या धन नहीं घडि़यां चढ़ाते हैं। भक्तों का मत है कि ऐसा करने से उनकी जिंदगी भी घड़ी की सुईयों की तरह कदमताल करने लगती है।
हजारों घडि़यां हो गई जमा
पिछले 12 सालों में भक्तों द्वारा चढ़ाई तरह-तरह की हजारों घडि़यां यहां जमा हो गई हैं। ये घडि़यां देवरे की दीवारों पर टंगी होने के अलावा आसपास बिखरी पड़ी हैं। यही नहीं पास के पुराने पीपल के तने पर टंगी घडि़यां भी देखी जा सकती हैं। देवरे का ध्यान रखने वाले हर दिन बंद हुई घडि़या हटा देते हैं बावजूद इसके घडि़यों का जखीरा खत्म होने को नहीं आ रहा हैं।
दुर्घटनाओं में कमी
70 वर्षीय केसरबाई मेहता के खेत में लंबे समय से सगस बावजी का स्थान है। उन्हीं के अनुसार नगरी-धमनार मार्ग पर कभी सड़क दुर्घटनाएं भी ज्यादा होती थी। लेकिन जबसे यहां बाउजी की पूजा-पाठ शुरू हुआ, तब से दुर्घटनाओं में कमी आई है। दूर-दूर से आते हैं भक्त हर चतुर्दशी पर यहां आने वाले नगरी के राधेश्याम सेन के अनुसार रविवार को भक्त बड़ी संख्या में पहुंचते हैं।