श्रीरामचरितमानस - इन कामों से हमेशा नुकसान ही होता है

Posted on 28-Aug-2015 11:29 AM




कौन सी आदतें अच्छी हैं और कौन से काम करने से नुकसान ही होता है, इसके बारे में श्रीरामचरितमानस के एक दोहे से समझा जा सकता है-
                                                                            श्लोक
                                                                 रागु रोषु इरिषा मदु मोहु, 
                                                         जनि जनि सपनेहुं इन्ह के बस होहु।
                                                              सकल प्रकार बिकार बिहाई, 
                                                              मन क्रम बचन करेहु सेवकाई।।
अर्थात् - राग (अत्यधिक प्रेम), रोष (क्रोध), इष्र्या (जलन), मद (अहंकार) और मोह (लगाव)- इन पांच कामों से हमेशा नुकसान ही होता है, अतः इनसे सपने में भी दूर ही रहना चाहिए।
राग यानी अत्यधिक प्रेम:-जीवन में किसी भी बात की अति बुरी होती है। किसी से भी अत्यधिक या हद से ज्यादा प्रेम करना गलत ही होता है। बहुत ज्यादा प्रेम की वजह से हम सही-गलत को नहीं पहचान पाते है। कई बार बहुत अधिक प्रेम की वजह से मनुष्य अधर्म तक कर जाता है। इसलिए किसी से भी ज्यादा मोह नहीं करना चाहिए।
रोष यानी क्रोध:- क्रोध मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु होता है। क्रोध में मनुष्य अच्छे-बुरे की पहचान नहीं कर पाता है। जिस व्यक्ति का स्वभाव गुस्से वाला होता है, वह बिना सोच-विचार किये किसी का भी बुरा कर सकता है। क्रोध की वजह से मनुष्य का स्वभाव दानव के समान हो जाता है। क्रोध में किए गए कामों की वजह से बाद में शर्मिंदा होना पड़ता है और कई परेशानियों का भी सामना करना पड़ सकता है। इसलिए इस आदत को छोड़ देना चाहिए।
ईष्र्या यानी जलन:- जो मनुष्य दूसरों के प्रति अपने मन में ईष्र्या या जलन की भावना रखता है, वह निश्चित ही पापी, छल-कपट करने वाला, धोखा देने वाला होता है। वह दूसरों को नीचा दिखाने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। जलन की भावना रखने वाले के लिए सही-गलत के कोई पैमाने नहीं होते हैं अतः हमें ईष्र्या या जलन की भावना कभी अपने मन में नहीं आने देना चाहिए।
मद यानी अहंकार:- अहंकार में मनुष्य को अच्छे-बुरे किसी का भी होश नहीं रहता है। अहंकार के कारण इंसान कभी दूसरों की सलाह नहीं मानता, अपनी गलती स्वीकार नहीं करता और दूसरों का सम्मान नहीं करता। ऐसा व्यक्ति अपने परिवार और दोस्तों को कष्ट पहुंचाने वाला होता है।
मोह यानी लगाव:- सभी को किसी ना किसी वस्तु या व्यक्ति से लगाव जरूर होता है। यह मनुष्य के स्वभाव में शामिल होता है, परन्तु किसी भी वस्तु या व्यक्ति से अत्यधिक मोह भी बर्बादी का कारण बन सकता है। किसी से भी बहुत ज्यादा लगाव होने पर भी व्यक्ति सही-गलत का फैसला नहीं कर पाता है। और उसके हर काम में उसका साथ  देने लगता है। जिसकी वजह से कई बार नुकसान का भी सामना करना पड़ जाता है, अतः किसी से भी बहुत ज्यादा मोह रखना गलत होता है, इसे छोड़ देना चाहिए।


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