स्वाध्याय से होती इंसान की वास्तविक प्रगति

Posted on 12-Aug-2015 05:04 PM




एक बार संत अप्पार के पास एक जिज्ञासु आया और बोला -’’महात्मन्, मैंने अनेक विषयों का गंभीर अध्ययन किया है। मुझे तमाम शास्त्र व ग्रंथ मुंहजबानी याद हैं। लोग जब मुझे विद्वान कहते हैं तो मुझे बहुत अच्छा लगता है और मेरे अहं को तुष्टि भी मिलती है, किंतु इन सबसे शांति व आनंद नहीं मिलता। एकांत में मेरे तर्क स्वयं मुझे ही छलनी करने लगते हैं। एक तर्क मेरे ऊपर हंसता है तो दूसरा उसे निरुत्तर करने के लिए अन्य अनेक तर्कों के तीर चलाता है। कृपया मेरा समाधान करें।’’

संत अप्पार उसकी बात सुनकर बोले -’’वत्स, तुमने अध्ययन तो बहुत किया है, अब आवश्यकता है स्वाध्याय करने की। 
स्वाध्याय से ही तुम्हारी समस्याओं का समाधान हो सकेगा।’’ जिज्ञासु विस्मित हुआ और बोला-’’महात्मन्, मैं अभी तक स्वाध्याय ही तो कर रहा था। मैं तो इसके जीवन के सिद्धांत सत्कर्म, सदाचार व सद्भाव पर आधारित हैं। सत्कर्म की
परिणति पर चिंतन करना, सदाचारपूर्ण व्यवहार बन पा रहा है या नहीं, इस पर विचार करना, औरों के प्रति हमारे मनोभाव कैसे हैं, इसका अवलोकन करना ही स्वाध्याय है।

स्वाध्याय के लिए अध्ययन मात्र एक माध्यम है। अध्ययन में हम औरों के विचारों का विश्लेषण करते हैं, जबकि स्वाध्याय में हम स्वयं के विचारों एवं भवनाओं का अध्ययन करते हैं। स्वाध्याय का विषय हमारे विचार, भाव व आत्मा होते हैं। स्वाध्याय अंतरतम में गोते लगाना एवं अनुभव प्राप्त करना है, जबकि अध्ययन में यह सुविधा प्राप्त नहीं है।’ जिज्ञासु को स्वाध्याय का मर्म ज्ञात को गया और वह संत को प्रणाम कर वापस चल पड़ा।

अलावा और कुछ जानने-समझने आया था।-’’ यह सुनकर संत अप्पार के अधरों पर मुस्कान बिखर गई। उन्होंने उसे समझाते हुए कहा-’वत्स, अभी तक तुमने जो किया, वह अध्ययन है ना कि स्वाध्याय। अध्ययन का अर्थ है-दूसरों के लिपिबद्ध विचारों का अनुशीलन करना, पढ़ना। ग्रंथ में निहित तथ्यों, घटनाओं व विचारों का तर्कसंगत संबंध स्थापित करना, समालोचना करना व व्याख्या करना ही अध्ययन है। स्वाध्याय इससे सर्वथा भिन्न है।’ आगंतुक बड़े ध्यान से संत की बातें सुन रहा था। संत ने आगे कहा-’स्वाध्याय जीवन के सिद्धांतों का चिंतन -मनन करना है। जीवन का आधार क्या है, यह कैसे क्रियाशील, गतिशील है औरे कैसे विकास के सोपानों को पार करता चला जाता है, ये सब ही जीवन के सिद्धांतों में सम्मिलित हैं। 


Leave a Comment:

Login to write comments.