Posted on 20-Jun-2016 11:36 AM
एक गरीब एक दुकान के सामने बैठा भीख के लिए गुहार लगा रहा था। तभी एक स्त्री अपने तीन छोटे-छोटे बच्चों के साथ दुकान के सामने से गुजरी। उसके कपड़े फटे तथा काफी मैले थे। तीनों बच्चों के शरीर पर सिर्फ एक-एक मैली कमीज थी। नीचे कुछ नहीं था। वह स्त्री भी नंगे पैर थी। बहरहाल वह उस व्यक्ति के पास से गुजरती हुई करीब 10-12 कदम आगे बढ़ गई। अचानक वह ठिठकी, वापिस हुई। फिर उस स्त्री ने अपने पल्लू से बन्धे हुए पैसे निकाल कर एक 1 रूपये का एक सिक्का उस फकीर को दे दिया। उस औरत के पास मुश्किल से 1-1 रूपये के चार या पाँच सिक्के ही थे। उसका यह दान भारत की उस महान परम्परा का प्रतीक था, जिसके लिए राजा हरिश्चन्द्र ने अपना राज्य छोड़ कर श्मशान की चैंकीदारी करना स्वीकार किया था। उस महान दानी स्त्री को शत-शत प्रणाम। भगवान बुद्ध ने कहा कि मांगने वाले को कुछ न कुछ अवश्य दें। (कल्याण से)