Posted on 05-Aug-2016 11:06 AM
किसी भी काम का शुभारंभ यानी गणपति की आराधना। इसीलिए आप शादी ब्याह के कार्ड पर इस मंत्र को देखते होंगे। यहीं वजह है कि मुहावरा यानी श्रीगणेश करना (किसी भी काम की शुरुआत करना) का जन्म इसी से हुआ। लिंगपुराण में भगवान शिव ने गणेश जी को कहा है कि गणेश तुम विघ्नविनाशक हो और तुम विघ्नगणों के स्वामी होने की वजह से त्रिलोक में सवत्र्र पूजनीय और वंदनीय रहोगे। किसी भी पूजा से पहले गणेश जी की पूजा की जानी चाहिए। माना जाता है कि हर शुभ काम से पहले गणेश पूजा करने से विघ्नों का नाश होता है। भगवान गणेश विघ्नहर्ता हैं। कहा जाता है भगवान गणेश की परिक्रमा कर के पूजा की जानी चाहिए। परिक्रमा करते वक्त अपनी इच्छाओं को लगातार दोहराते रहना चाहिए। इसलिए किसी भी काम को शुरू करन से पहले ऊँ गणेशाय नमः का जाप किया जाता है यानि इससे कोई भी काम बिना विघ्न के संपन्न हो जाता है और उसमें शत-प्रतिशत कामयाबी मिलती है । भगवान गणेश ऐसा करने वाले भक्तों की मनोकामना जरूर पूरी करते हैं। भक्तों को विनायक के मंदिर की तीन परिक्रमा करनी चाहिए। इसके अलावा भक्त अगर भगवान विनायक को खुश करना चाहते हैं और अपनी इच्छाओं को पूरा करना चाहते हैं तो उन्हें विनायक के नाम से तर्पण करना चाहिए।
पूजा में इन बातों का रखें ध्यान- भगवान गणेश को दुर्वा और मोदक बेहद प्रिय हैं। दुर्वा के बगैर उनकी पूजा अधूरी समझी जाती है। भगवान गणेश को तुलसी नहीं चढ़ानी चाहिए वर्ना अशांति होती है। पद्म पुराण के मुताबिक उनकी पूजा दूब से की जाती है। घर में कभी भी तीन गणेश की पूजा नहीं करनी चाहिए। भगवान गणेश की तीन प्रदक्षिणा ही करनी चाहिए। भगवान गणपति की आराधना में नामाष्टकका स्तवन अवश्य करना चाहिए। जिससे चतुर्थी के देवता भगवान वरद विनायक प्रसन्न होकर अभीष्ट फल की प्राप्ति अवश्य करावें। हरित वर्ण का दूर्वा जिसमें अमृत तत्त्व का वास होता है, उसको भगवान श्री गणेश पर चढाने से समस्त विघ्नों का विनाश हो जाता है तथा अभीष्ट फल की प्राप्ति होती है।