Posted on 16-Jun-2016 10:39 AM
ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी कहते हैं। इस दिन बिना अन्न-जल ग्रहण किए व्रत करने का विधान है। इस बार यह एकादशी 16 जून गुरुवार को है। निर्जला एकादशी का व्रत विधान इस प्रकार है- निर्जला एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठें और नित्य कर्मों से निवृत्त होकर सर्वप्रथम शेषशायी भगवान विष्णु की पंचोपचार से पूजा करें। इसके पश्चात मन को शांत रखते हुए ‘‘ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय’’ मंत्र का जप करें। शाम को पुनः भगवान की पूजा करें व रात में भजन कीर्तन करते हुए धरती पर विश्राम करें। दूसरे दिन किसी निर्धन व्यक्ति को आमंत्रित कर उसे भोजन कराएं तथा जल से भरे कलश के ऊपर सफेद वस्त्र ढक कर और उस पर शर्करा (शक्कर) तथा दक्षिणा रखकर दान दें । इसके अलावा यथाशक्ति अन्न, वस्त्र, तथा फल आदि का दान करना चाहिए। इसके बाद स्वयं भोजन करें। धर्म ग्रंथों के अनुसार इस दिन विधिपूर्वक जल कलश का दान करने वालों को वर्ष भर की एकादशियों का फल प्राप्त होता है। इस एकादशी का व्रत करने से अन्य तेईस एकादशियों पर अन्न खाने का दोष दूर हो जाता है तथा सम्पूर्ण एकादशियों के पुण्य का लाभ भी मिलता है-
एवं यरू कुरुते पूर्णा
द्वादशीं पापनासिनीम् ।
सर्वपापविनिर्मुक्तरू पदं
गच्छन्त्यनामयम्।।
इस प्रकार जो इस पवित्र एकादशी का व्रत करता है, वह समस्त पापों से मुक्त होकर मोक्ष प्राप्त करता है।