तरल पदार्थों का सेवन करें - सर्दी में मौसम में अक्सर प्यास कम लगती है। आपको अपनी त्वचा को चमकदार और जल योजन बनाए रखने के लिए 8-10 गिलास पानी या तरल पदार्थ पीते रहें। इसके अलावा ठंड के मौसम में नींबू के साथ गरम पानी लें, क्योंकि इससे आपका सिस्टम विषाक्तता से मुक्त होता है और आप तरोताजा महसू
दिन में झपकी लेने के शौकीनों के लिए अच्छी खबर है। एक शोध के अनुसार, दिन में कुछ देर सोने से ने केवल आप बेहतर महसूस करते बल्कि ब्लडप्रेशर और हार्टअटैक से भी आप सुरक्षित हो जाते हैं। उच्च रक्तचाप से पीडि़त लोगों पर किये गए शोध के दौरान पाया गया कि जिन लोगों ने दोपहर के समय झपकी ली, उनके ब्लड
अस्थमा (दमा) यूनानी शब्द है, जिसका अर्थ है सांस लेने के लिए ज़ोर लगाना। यह ऐसी बीमारी है, जो मनुष्य के फेफड़ों के किसी पदार्थ या मौसम के प्रति अतिसंवेदनशील होने के कारण होती है। इससे पीडि़त व्यक्ति की श्वास नलिकाओं की भीतरी दीवारों पर सूजन आ जाती है। इसी संकुचन के कारण सांस लेने में परेशानी होती
खाँसी एक परेशान, बाधित करने वाली दर्दनाक बीमारी है। 1. गर्म नमक के पानी से कुल्ला करें कुल्ला करने से गले की परेशानी और बलगम दुर होता है। गले में दर्द महसूस होने पर गर्म नमक के पानी से कुल्ला करें। यह गले के संदीप्त क्षेत्रों से अतिरिक्त तरल निकालता है। 2. गर्म तर
आधुनिक जीवनशैली में न चाहकर भी व्यक्ति को अपनी दिनचर्या ऐसी बनानी पड़ती है, जो स्वास्थ्य के लिहाज से निश्चित रूप से हानिकारक होती है। लेकिन कठिनाइयों से समझौता कर लेना मनुष्य का स्वभाव नहीं है। कुछ तरीके ऐसे अवश्य हैं, जिन्हें अपनी दिनचर्या में शामिल करके इंसान विपरीत परिस्थितियों में भी स्वस्थ र
अरंडी और सरसों के तेल को बराबर मात्रा में मिला लें। इसकी सिर पर अच्छी तरह से मालिश करने से दो मुंहे बालों की समस्या दूर होती है। अश्वगंधा और सौंठ के चूर्ण को समान मात्रा लें। इसका आधा चम्मच चूर्ण सुबह-शाम गुनगुने पानी से लें। कमरदर्द में आराम मिलेगा। एलोवेरा के गूदे में क
व्यक्ति, हमेशा गुणों की पूजा करता है। तुलसी हमेशा ही हमारे समाज में पूजनीय रही है। उसका कारण है तुलसी में निहित गुण। आरोग्य के लिए तुलसी अपने आप में बहुत से गुण समाए हुए है इसलिए इसे ’’घर का वैद्य’’ भी कहा जाता है। तुलसी मुख्यतः वात एवं कफ रोगों के लिए उपयोगी है। रोज 2 से
इमली के पेड़ ऊंचे और मोटे होते हैं। इसकी फली 6-8 इंच लंबी और चैड़ी होती है। पकने पर फली के अंदर काले रंग का कठोर बीज निकलता है। यह खट्टी, भारी, वातनाशक व रुधिर विकार दूर करने वाली होती है। उपयोेग - अर्श (बवासीर) में पीड़ा होने पर इमली के फूल के रस को लगाने से शांति मिलती है।
भूख अधिक लगना।वजन कम होना।पेशाब बार-बार और अधिक मात्रा में आना, शरीर में पानी की कमी हो जाना। इसे ’डायबिटीज इनसीडियस’ कहते हैं।थकान एवं शिथिलता।खुजली, शरीर के अंदर वाले हिस्सों (जननांगों), जांघों और पेशाब की जगह पर संक्रमण व खुजल
अगर आप अपने दिल को स्वस्थ रखना चाहते हैं और दिल की बीमारियों से बचना चाहते है। तो अपनी दिनचर्या में फल खाने की आदत शुमार करिए। हर दिन फल खाने से मृत्यु का खतरा 32 फीसदी और दिल की बीमारियों से मृत्यु का खतरा 40 फीसदी तक कम होता है। प्रतिदिन फल खाने वाले लोगों में, कभी फल नहीं खाने वाले लोगो