खानपान हमारे जीवन का ऐसा हिस्सा है जो हमें एनर्जी देने के साथ-साथ रोगों से भी बचाता है। लेकिन ऐसा तभी संभव है जब हमें यह पता हो कि किस बीमारी में कौन से फल या सब्जियां ज्यादा फायदेमंद हो सकती हैं। जानते हैं उनके बारे में। खानपान के साथ दंे रोगों को मात हृदय व बीपी के मरीज क्य
कार्बोनेटेड ड्रिंक और वाइन न पीएँ, क्योंकि यह कार्बन डाईआॅक्साइड रिलीज करते हैं।पाइप के द्वारा कोई चीज न पिएँ, बल्कि सीधे गिलास से पिएँ।अधिक तला-भुना और मसालेदार भोजन न करें।तनाव भी गैस बनने का एक प्रमुख कारण है, इसलिए तनाव से दूर रहने की हर संभव कोशिश
आज फूलों का प्रयोग हम केवल माला बनाने पहनने व पहनाने के लिए केवल औपचारिकता समझ कर काम में लेते हैं लेकिन इन फूलों में अनेक गुण होते हैं और इनमें कई बीमारियों को दूर करने की क्षमता होती है आइए इनके गुणों को जानें। गुलाब के फूल - फूलों को सूंघने से प्रेम में बढ़ोतरी होती है प्रेम बढ़ता है।
हमारे दाँतों की रचना - नीचे और ऊपर के जबड़ों में जो अस्थि जैसी संरचनायें पंक्तियों में हैं ये ही दाँत हैं। वयस्क व्यक्ति में 32 दाँत होते हैं। प्रत्येक जबड़े में 16-16 दाँतों में से कुछ दाँत दो बार निकलते हैं। यह दाँत देखने में सब एक जैसे लगते हैं, जबकि ऐसी बात नहीं है। रचनात्मक दृष्टि से इनमें थ
गाजर - नेत्र रोग, दन्त रोग, हड्डी के रोग टमाटर - मधुमेह, खून की कमी मूली - गुरदे की पथरी, मासिक धर्म के विकार अदरक - पेट की गैस, वात रोग सलाद की पत्ती -मानसिक एवं नाड़ी विकार शहद - खांसी, जुकाम, दमा, गठिया,
यदि बच्चा तुतलाता या हकलाता है तो निम्न देशी घरेलु प्रयोग करें: अ बच्चे को एक ताजा हरा आँवला रोज सुबह चबाने के लिए दें। अप्रातःकाल मक्खन में काली मिर्च का चूर्ण मिलाकर चटाएँ। अहरा धनिया व अमलतास का गुदा पीस कर उसे पानी में मिलाकर करीब एक माह तक नित्य कुल्ला करवाएँ। अफु
जामुनः 1. जामुन का फल खाने से दिल की धड़कन सामान्य होती है। रक्त विकार दूर होते हैं। फोड़े फुन्सियों का निकलना बन्द होता है। यह पित्त के अतिसार को नष्ट करता है। आवाज साफ करता है। थकावट, कफ, दस्त, दमा खाँसी, मुँह की ग्लानी, गले की बिमारियों और मेदे के कीड़ों को नष्ट
पोलियो एक विषाणु से होने वाला रोग है। प्रायः जन्म से लेकर 5-6 वर्ष तक की उम्र के शिशु एवं कभी-कभी 17-18 वर्ष तक के युवा भी पोलियो की चपेट में आ जाते हैं। पोलियो का असर मुख्यतः हाथ-पैरों पर होता है। हाथ-पैरों की माँस-पेशियाँ एवं नसें पोलियों के प्रभाव से सिकुड़ जाती है। परिणामतः हाथ-पाँव मुड़ जाते
शरीर में चीनी की मात्रा आवश्यकता से अधिक बढ़ जाने पर जठर और आँतों में अम्लता के कारण दाह, सूजन, सड़न और व्रण होते हैं; मेद, मधुमेह और संधिवात सदृश रोगों का उपद्रव होता हैै, शरीर रोगों का घर बन जाता है। चीनी के पानी का अधिक मात्रा में सेवन किया जाए तो वह दाहक बनता है। जठर में अधिक चीनी चले जाने पर
किसी भी प्रकार के नशे की आदत मनुष्य के लिये अत्यधिक हानिकारक है। शराब, स्मेक, भाँग आदि नशीले पदार्थ इन्सान के मस्तिष्क एवं देह की तंत्र ग्रन्थियों पर खराब असर डालते है। युनान के बादशाह के ने अपने यहाँ एक विशाल समारोह आयोजित किया। सुकरात नाम के दार्शनिक को भी निमन्त्रण दिया गया। पूरे समय रा