यह कोई जरूरी नहीं कि हमारे दाँतों को साफ रखने के लिए पेस्ट ही काम आता है। ऐसे कई प्राकृतिक, घरेलू व सरल उपाय हैं जिससे हम अपने दाँतों को स्वस्थ रख सकते हैं। दाँत बात से लेकर चाल तक में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। चाल चाहे भोजन की हो या मनुष्य के चलने की, ये सब दाँतों से अच्छी तरह चबाकर किए गए
भारत ही नहीं वरन् संसारभर में शायद ही कोई व्यंजन हो जहाँ कमो-बेश प्याज की आवश्यकता न पड़ती हो। वैसे डाइनिंग टेबल की शोभा, सलाद के रूप में तो यह बढ़ाता ही है, कभी-कभी खाना खाते समय बीच में जब भी सलाद की याद आती है तब, यहाँ तक कि अतिथिगण भी प्याज की फरमाइश करते हुए संकोच नहीं करते। प्रश्न फिर यह उभ
सूखे मेवे के रूप में काजू का स्थान सर्वोपरि है। काजू के पेड़ आम्रवृक्ष के समान सदा हरे-भरे रहने वाले और मध्यम कद के होते हैं। ये वृक्ष लगभग तीस से चालीस फुट ऊँचे होते हैं। इसके पत्ते चार से आठ इंच लंबे और तीन से पाँच इंच चैड़े होते हैं। इसके पत्ते खुशबूदार होते हैं। इसके फल कोमल और अमरूद के फल से
प्रकृति की गोद में विविध पुष्प खिले हैं, उनके रस को मधुमक्खी अनेकों प्रयासों से प्रशोधिक करके शहद का निर्माण करती है। मानव को दीर्घायु बनाये रखने एवं उसके स्वास्थ्य को स्वस्थ बनाये रखने में शहद की भूमिका काफी महत्वपूर्ण होती है। शहद खाने में मीठा, मगर शरीर के लिए अतिगुणकारी होता है। यह अनेक बीमार
1.योगासन खाली पेट करना चाहिए। 2.योगासन भोजन के कम से कम 3 घंटे बाद करना चाहिए। 3. प्रातःकाल का योगासन लाभदायक होता है। 4. मन शांत व स्थिर रखकर योगासन करें। 5. बुखार आदि में योगासन नहीं करें । 6. कपडे़ हल्के ही पहनें, बेल्ट,चश्मा घड़ी आदि अलग रखें। 7. कम्ब
तंबाकू को सेवन सेहत के लिए ही नहीं सामाजिक दृष्टि से भी हानिकारक है। लंबे समय तक तंबाकू का इस्तेमाल करने वाले लोग समाज से कटने लगते हैं, जिसका असर उनकी कार्य करने की क्षमता पर भी पड़ता है। तंबाकू सेवन करने वाली दिल्ली की एक बड़ी आबादी पर एम्स के सोशल मेडिसन विभाग ने अध्ययन किया, जिसमें सेवन करने
उच्च रक्तचाप को रखे नियंत्रित- अमरूद फाइबर और हाइपोग्लिसेमिक का अच्छा स्त्रोत है, जो रक्तचाप और कोलेस्ट्राॅल के स्तर को कम करने में फायदेमंद है। अध्ययनों से साबित हो चुका है कि शरीर में पोटैशियम की दैनिक जरूरत के 20 प्रतिशत भाग की आपूर्ति एक मध्यम आकार के अमरूद से हो जाती है। इसमें मौजूद प
भोजन पकाने से पहले पकाते, समय और पकाने के बाद यदि कुछ बातों
सोते समय व उठते समय झटके से ना उठे अपितु आराम से उठे, सीधे लेटे।कार्य के पश्चात कुछ समय के लिए विराम लें, या कुछ कदम चहलकदमी करें।बैठने के लिए आरामदाय कुर्सी का, या सोफ्ट फोम वाली कुर्सी का इस्तेमाल करें।एक चम्मच अश्वगंधा चूर्ण व एक चम्मच शतावरी चूर्ण ल
कान से हम सुनते हैं, इससे ध्वनि की पहचान करते हैं। कान के अन्दर विशेष प्रकार के अंग होते हैं जिससे हमें ध्वनि संतुलन की स्थिति का पता चलता है। इसके आन्तरिक भाग का सम्बन्ध का कापालिक तंत्रिका के आठवें जोड़े से होता है। इसकी दो शाखाएँ होती हैं। एक शाखा कोक्लिया को मस्तिष्क के श्रवण केन्द्र से जोड़त