आप कभी डाॅक्टर या वैद्य के पास गये हैं, तो प्रायः वे आपकी आंख, जीभ और नाखून भी देखते हैं। जीभ पर पीलापन होना भी एक बड़ी समस्या है। यह तब ज्यादा परेशान करती है जब आप धूम्रपान नहीं करते। धूम्रपान नहीं करते। नियमित ब्रश करते हैं तो भी आपकी जबान ऐसी पीली पड़ी कि जैसे पीला रंग रंग दिया हो, दरअस
आयुर्वेद में ऐसी कई जड़ी-बूटियां हैं जिनके प्रयोग से स्वस्थ रहा जा सकता है। साथ ही इनसे कोई दुष्प्रभाव भी नहीं होते। आइए जानते हैं इनके बारे में। अडूसा: खांसी -जुकाम में लाभ। तरीका: अडूसा के 4-5 पत्तों को तुलसी के कुछ पत्तों, गिलोय के छोटे टुकड़े व लेमनग्रास के पत्तों के साथ कूटकर ए
सेठ लक्ष्मीचन्द के चार पुत्र थे, समय पूर्ण हुआ, परलोक गमन से पहले सबको बुला कर कहा-सुमति है, लक्ष्मी कृपा बनी है, मिल कर रहोगे-सदा सम्पन्न रहोगे और उनका शरीर शांत हो गया। समय आगे बढ़ा, कुमति आई-लक्ष्मी पूजा की भी उपेक्षा होने लगी, गृह कलह आ गई। माँ लक्ष्मी से देखा न गया, स्वप्न दिया-
नाखून व बाल:-यदि आपके नाखून व बाल रूखे, खुरदरे बीच-बीच में टूटने वाले हों व नाखून व बालों में चमक नहीं हो तो प्रोटीन वाले भोजन में संशोधन करें। पेशाब:- यदि आपको पेशाब ठीक नहीं आ रहा है कम व ज्यादा हो तो पानी का बेलेंस व उत्सर्जन तंत्र को ठीक करने की आवश्यकता है। शौच:- यदि आपको शौच ठ
नई दिल्ली। आॅफिस में आप दिन के कई घंटे बिताते हैं, ऐसे में लगातार एयर- कंडीशनर (एसी) में बैठना भी लाजमी है। एसी में बैठने के कुछ फायदे है तो नुकसान भी। लेकिन इसका उपाय यही है कि ऐसी परिस्थिति में भी खुद को फिट रखा जाए। यह शोध अलबामा यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने किया है। अच्छा है आपके
हर मौसम की समस्याओं का समाधान भी प्रकृति में मौजूद है। बस उन्हें जानने की जरूरत है। ग्रीष्म ऋतु में गर्मी से बचाव के लिये कई जड़ी-बुटियाँ व वनस्पति मौजूद है। इनमें से ही एक है, पुदीना। पुदीना सर्वसुलभ कम जगह में बिना जड के ही आसानी से लगने वाला व सुगंध में मन को मोहने वाला होता है। वैसे तो बारह म
अल्जाइमर के मरीजों को दर्द ज्यादा महसूस होता है। इस अध्ययन के मुताबिक, अल्जाइमर और याद्दाश्त संबंधी अन्य बीमारियों के मरीजों को दर्द का अहसास आमतौर पर ज्यादा होता है। इजरायल की तेल अवीव युनिवर्सिटी के शोधकर्ता रुथ डेफरिन ने बताया कि अध्ययन में कमजोर याद्दाश्त और तंत्रिका
मेडिटेशन के बारे में दुनिया में अब तक जो भी वैज्ञानिक शोध-अध्ययन हुए हैं, उनका निष्कर्ष यही है कि तन-मन को तनावमुक्त करने में ध्यान का कोई विकल्प नहीं है। मेडिटेशन के दौरान कुछ खास बातों का ख्याल अवश्य रखें..-जहां मेडिटेशन करना है, वहां का वातावरण सुगंधित हो तो और भी अच्छा रहेगा। -म
तनाव हमारी सेहत का सबसे बड़ा शत्रु है आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में तनाव से बचा भी नहीं जा सकता फिर भी कुछ बातों पर अमल करके आप तनाव को काबू में कर सकते हैं -प्रतिदिन थोड़ी देर व्यायाम अवश्य करें। कई शोध-अध्ययन से यह बात सच साबित हुई है कि व्यायाम तनाव दूर करने में काफी सहायक होता है। तथा इ
भोजन को कैलोरी के तराजू पर तौल कर खाने की आदत में अक्सर हम पोषण से समझौता करने लगते हैं। नियमित खाए जाने वाले आलू व शकरकंद के उदाहरण से इसे समझा जा सकता है। दोनों में सम्मान कैलोरी होती है, पर सच यह भी है कि शकरकंद में विटामिन व पोषक तत्व अधिक होते हैं और विटामिन बी व एंटीआॅक्सीडेंट्स की प्रचूरता