ंमहावीर जी ने अपने उपदेशों द्वारा समाज का कल्याण किया उनकी शिक्षाओं में मुख्य बाते थी कि सत्य का पालन करो, अहिंसा को अपनाओ, जिओ और जीने दो। इसके अतिरिक्त उन्होंने पांच महाव्रत, पांच अणुव्रत, पांच समिति, तथा छः आवश्यक नियमों का विस्तार पूर्वक उल्लेख किया। जो जैन धर्म के प्रमुख आधार हुए और पा
आठ - दस विद्यार्थी वकालत पढ़ रहे थे। ये सभी मित्र एक ही मकान में साथ-साथ रहते थे। जिस मकान में ये सब किराये पर रहते थे, उसमें मकान मालिक ने एक नौकर भी रखा था वह मकान की देखभाल तो करता ही था, साथ-साथ इन सभी विद्यार्थियों की भी सेवा करता था। अचानक इस नौकर की पत्नी छः महीने का एक बालक छोड़ कर परलोक
जब अमेरिकी राष्ट्रपति अब्राहिम लिंकन भारत दौरे पर आ रहे थे तब उन्होने अपनी माँ से पूछा कि हिंदुस्तान से आपके लिए क्या लेकर आए । तब माँ का जवाब मिला, उस महान देश की वीर भूमि हल्दी घाटी से एक मुðी धूल लेकर आना, जहाँ का राजा अपने प्रजा के प्रति इतना वफादार था कि उसने आधे हिंदुस्तान के बदले आपनी
गर्मियों के दिनों में एक शिष्य अपने गुरु से सप्ताह भर की छुट्टी लेकर अपने गांव जा रहा था। तब गांव पैदल ही जाना पड़ता था। जाते समय रास्ते में उसे एक कुआं दिखाई दिया। शिष्य प्यासा था, इसलिए उसने कुएं से पानी निकाला और अपना गला तर किया। शिष्य को अद्भुत तृप्ति मिली, क्योंकि कुएं का जल बेहद मीठा औेर ठ
मध्य रात्रि का समय था युवा पति-पत्नी गहरी नींद में सो रहे थे। अचानक पति की आंख खुली उसने देखा फूस की छत से एक तिनका गिरा। जमीन पर गिरते ही वह तिनका नाग बन गया। उसने उसकी सोती हुई पत्नी को काट लिया। पत्नी एक बार जोर से कराही और शांत हो गई। युवक दुखी और चिंतित था। वह सम्मोहित होकर नाग को एकटक देखता
एक व्यापारी को नींद न आने की बीमारी थी। उसका नौकर मालिक की बीमारी से दुखी रहता था। एक दिन व्यापारी अपने नौकर को सारी संपत्ति देकर चल बसा। सम्पत्ति का मालिक बनने के बाद नौकर रात को सोने की कोशिश कर रहा था, किन्तु अब उसे नींद नहीं आ रही थी। एक रात जब वह सोने की कोशिश कर रहा था, उसने कुछ आहट सुनी। द
महात्मा बुद्ध अपने शिष्यों के संग जंगल से गुजर रहे थे। दोपहर को एक वृक्ष के नीचे विश्राम करने रुके। उन्होंने शिष्य से कहा, “प्यास लग रही है, कहीं पानी मिले, तो लेकर आओ।“ शिष्य एक पहाड़ी झरने से लगी झील से पानी लेने गया। झील से कुछ पशु दौड़कर निकले थे, जिससे उसक
भूदान आन्दोलन के प्रणेता विनोबा भावे के पास एक शराब की लत वाला युवक आया। उसने प्रार्थना की कि मैं बेहद परेशान हूँ, मदिरा मेरा पीछा नहीं छोड़ती। विनोबा जी ने सुना और अगले कल आने का कहा। अगले दिन युवक आया और विनोबा जी को आवाज़ देने लगा युवक की आवाज़ सुन कर विनाबा जी ने कहा कि मैं बाहर नहीं आ
भक्त रैदास फटे जूते की सिलाई में ऐसे तल्लीन थे कि सामने कौन खड़ा है, इसका उन्हें भान भी न हुआ। आगंतुक भी कब तक प्रतीक्षा करता, उसने खाँस कर रैदास का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया। रैदास ने दृष्टि ऊपर उठाई। सामने एक सज्जन थे। उन्हें देख वे हड़बड़ा कर खड़े हो गए और विनम्रतापूर्वक बोले, क्षमा करें, मेर
नेपोलियन कहीं जा रहा था। रास्ते में उसकी नजर एक दृश्य पर पड़ी। वह रूक गया। कई कुली मिलकर भारी-भारी खंभों को उठाने का प्रयास कर रहे थे। और मारे पसीने के तरबतर थे। पास में खड़ा एक आदमी उन सबको तरह-तरह के निर्देश दे रहा था। नेपोलियन ने उस आदमी के करीब जाकर कहा, ”भला आप क्यों नहीं इन बेच