पुन्य प्रीति पति प्रापतिउ परमारथ पथ पाँच। ललहिं सुजन परिहरहिं खल सुनहु सिखा
तुलसी मीठे वचन ते, सुख उपजत चहुं ओर। वशीकरण इक मंत्र है, तज
ऊँ नमः पार्याय चावार्याय च नमः, प्रतरणाय चोत्तरणाय च। नमस्तीर्थ्याय च कूल्याय च नमः, शष्प्याय च फेन्याय च।। भगवान भोलेनाथ की पूजा के दौरान इस मंत्र के द्वारा त्रिलोचनाय भगवान शिव को पुष्प समर्पण करना चाहिए - उत्तम मध्यम नीच ग
जो मेरे भाग्य में नहीं वो दुनिया की कोई भी शक्ति मुझे नहीं दे सकती। और जो मेरे भाग्य में है, उसे दुनिया की कोई भी शक्ति मुझसे छीन नहीं सकती। ईश्वरीय शक्ति असम्भव को &nbs
कटु-वचनों की धार से, बने जीभ तलवार। अच्छा है चुप ही रहें,बना मौन आधार।। भावार्थ - हमारे अपने कटु वचन ही हमारी जीभरूपी तलवार बन जाती है। इसलिए अच्छाई इसी में है कि हम चुप ही रहें, हमारा आधार मौन हो जाए। भलाई भी इसी में है और नीति भी यही कहती है। अमृत वचन- कटु वचनों मे
ऊँ वरुणस्योत्तम्भनमसि वरुणस्य,सकम्भ सर्ज्जनीस्थो । वरुणस्य ऋतसदन्यसि वरुणस्य ऋतसदनमसि, वरुणस्य ऋतसदनमासीद् ।। भगवान भोलेनाथ की पूजा के दौरान इस मंत्र के द्वारा शिवजी को स्नान समर्पण करना चाहिए-