यह तो सभी जानते हैं कि प्लग मंे तीन पिन होती हैं। इनमें से दो पिनों का आकार तो समान होता है, लेकिन तीसरी पिन बड़ी और मोटी होती है। इन पिन को अर्थ के तार या भूयोजित तार से जोड़ा जाता है। आइए जानें यह पिन जरूरी क्यों होती है....... तीसरी पिन और उससे जुड़े तार में सामान्यतः विद्युत प्रवाहित नहीं होती।
पिरामिड नीचे से बड़ा होता है और ऊपर जाकर संकरा होता है। हमारा खाना भी इसी आधार पर होना चाहिए। खाने के पिरामिड के सबसे नीचे वाले बड़े हिस्से में तरल पदार्थ आते हैं, इसलिए खाने का बड़ा हिस्सा तरल पदार्थ का होना चाहिए। उसके ऊपर कार्बोहाइडेट्स आते हैं। मसलन चपाती, चावल, नूडल्स आदि। इतनी ही मात्रा चपातिय
यूनिवर्सिटी आँफ वाँशिंगटन के शोध में दावा किया गया है कि 15 महीने के शिशु को भी इस बात का अहसास होता है कि क्या सही है और क्या गलत। इसके अनुसार, छोटे बच्चों को भी खाने-पीने की चीजों के समान-असमान वितरण के बारे में समझ होती है। समान वितरण नहीं होने पर वे आश्चर्य या नाराजगी भी प्रकट करते हैं। शोध क
सामान्य रूप से पलक झपकाना एक अनैच्छिक क्रिया है, लेकिन इस क्रिया को हम इच्छानुसार भी कर सकते हैं। हम औसतन हर छः सेकंड में एक बार पलक झपकाते हैं। इसका अर्थ है कि हर व्यक्ति अपने जीवनकाल में लगभग 25 करोड़ बार पलक झपकाता है। क्या तुम जानते हो कि पलक झपकने की क्रिया क्यों होती है ? पलक झपकने की क्रिया
पिछले साल ऐसी बहुत सी अफवाहें सुनने को मिली कि आँखों को स्कैन करने वाली तकनीक को स्मार्टफोन में देखा जा सकता है और ऐसी अटकलें भी लगाई गई सैमसंग अपने फ्लैगशिप डिवाइस में आईरिस स्कैनिंग तकनीक का प्रयोग करेगा। मगर ऐसा हुआ नहीं। हालांकि 2015 की शुरूआत में हमें इस तकनीक की स्मार्टफोन में एक झलक देखने
अन्नमय कोशः शरीर की स्थूल अवस्था। नियमित यौगिक क्रियाएँ, आसन और सात्विक भोजन करने से स्वास्थ्य ठीक रखा जा सकता है। प्राणमय कोशः शरीर की सूक्ष्म अवस्था। नियमित प्राणायाम करने से स्वैच्छिक रूप से श्वास-प्रश्वास का नियंत्र
हम अपनी हड्डियों की परवाह तब तक नहीं करते जब तक कि कोई हड्डी टूट न जाए या बुढ़ापे में कोई बीमारी न हो जाए। हमारी हड्डियों को जीवनभर देखभाल और पोषण की आवश्यकता होती है। कंकाल तंत्र में हड्डियां, नस, अस्थि, उपास्थि आदि शामिल हैं। यह कई महत्वपूर्ण कार्य करती हैं जैसे कि रक्त की संरचना को बनाए रखना, श
हमारे कृषि प्रधान भारत में जल का अधिक महत्त्व है। आषाढ़ मास से जल के अमृत बिन्दुओं का स्पर्श होता ही धरती से सीधी गंध उठने लगती है। कई दिनों की धरती की प्यास बुझ जाती है। शीतल मधुर जल पाकर पेड़-पोधे हरे-भरे होने लगते है। चारों और हरियाली छा जाती है। रंग-बिरंगे फूलों पर रंगबिरंगी तितलियाँ मँडराने लग
गर्मी से जन-जीवन बेहाल है, कड़ी धूप और पसीने वाली इस गर्मी से तो बारिश का मौसम ही निजात दिला सकता है। पशु, पक्षी, खेत सभी को मानसून यानि बरसात का इंतजार रहता है। आपकों भी बरसात का मौसम अच्छा लगता होगा। बारिश में भीगना और फिर चारों ओर फैली हरियाली देखकर मन कितना खुश हो उठता है। हिंद महासागर और
ग्रह विज्ञानियों ने अपनी गणनाओं के जरिए दावा किया है कि हमारे तारामंडल में अधिकतर तारों के आसपास पृथ्वी जैसे अरबों ग्रह हैं। आॅस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटीे में किए गए एक नए शोध ने यह निष्कर्ष 200 साल पुराने एक विचार को उन हजारों ब्रह्मण्ड़ ग्रहों पर लगाकर निकाला है, जिसकी खोज नासा के केपलर अंतरिक