एक रूग्ण व्यक्ति ने एक अनुभवी वैद्य से पूछा - ‘‘कृपया स्वस्थ्य रहने का सुन्दर नुस्खा बताईये।’’ वैद्य ने कुछ क्षणों तक चिन्तन के पश्चात् कहा - सर्वोत्तम स्वास्थ्य लिए ‘हरि, वरी और करी से सदा दूर रहना चाहिए।’ हरी का अर्थ है - जल्दबाजी, वरी का अर्थ ह
सब्र एक ऐसी सवारी है जो अपने ‘‘सवार’’ को कभी गिरने नहीं देती.... ना किसी के कदमों में और न किसी की नज़रों से । क्रोध एक ऐसा तेजाब है जो जिस चीज पर डा
अभी स्वार्थ, उदासीनता, एवं इंद्रियासक्ति का जंग लग कर खराब हुए अपनी चेतना के पलने को साफ कर और प्रतिदिन के गहरे दिव्य ध्यान, आत्मनिरीक्षण और विवेचन के द्वारा उसे चमका कर, मैं सर्वव्यापी शिशु क्राइस्ट के आगमन की तैयारी करूँगा। मैं उस पलने का भ्रातृप्रेम, नम्रता, निष्ठा, ईश्वर-साक्षात्कार की इच्छा,
जिसके मन में पाप है, चाहे वह सौ बार तीर्थ करे तो भी शुद्ध नहीं होंगे। कमाये हुए धन को उचित व्यय करना ही उस की रक्षा है। अपने सुख के दिनों को स्मरण करने से बड़ा दुख और कोई नहीं है। सहानुभूति एक ऐसी भाष
इन्द्रियों द्वारा जो विषयों पर, जो विजय प्राप्त कर लेता है। निवृत तो होता विषयों से, आसक्त बना ही रहता है।। आसक्ति अगर ईश्वर में हो, उसको दर्शन हो जाय अगर। दर्शन होने पर विषयों से, निवृति प्राप्त कर ल
लम्हों की गलतियों को सदियाँ भूगतती है। यह बात सेरेब्रल पाल्सी के रोगियों पर शत प्रतिशत सही साबित होती है। माता-पिता की गलतियों को आने वाली नई पीढ़ीयों को भुगताना पड़ता है। कुछ सामाजिक परम्पराओं की गलतियाँ, कुछ आदतन गलतियाँ इन्सान को भविष्य में पश्चाताप के कगार पर खड़ा कर देती है। जो शराब,
जो समय की कीमत जानता है, उसकी जीवन यात्रा बड़ी आसानी से तय होती है। जो सच्चे मन से अपने माता-पिता की सेवा करते हैं, सभी तीर्थ उनके घर में वास करते हैं। जो सुबह उठते ही अपने कर्म हाथों को देखो और प्रार्थना करो-हे ईश्वर ! आज इन हाथों से भला हो। जैसे मनुष्य शरीर बार-बार नही