धर्मशास्त्रों में पीपल के वृक्ष को भगवान विष्णु का निवास माना गया है। स्कंद पुराण के अनुसार पीपल की जड़ में श्री विष्णु, तने में केशव, शाखाओं में नारायण, पतों मे भगवान हरि और फल में सब देवताओं से युक्त भगवान का अच्युत निवास हैै। इसीलिए पीपल के वृक्ष का पूजन किया जाता है। ‘‘संसा
अपनी विशेष आकृति और रहस्यों के साथ शनि मानव जिज्ञासा का कारण रहा है। सन् 1610 ई. में वैज्ञानिक गैलीलियो ने सबसे पहले इसके चारों ओर अज्ञात सी चीज देखी, बाद की खोजों से पता चला शनि ग्रह के चारों ओर वलय हैं वे कैसे और क्यों बने? इसके बारे में अब तक कोई सर्वमान्य खोज, जवाब या वैज्ञानिक अवधारणा
अध्यात्म शास्त्रों में मन को ही बंधन और मोक्ष का कारण बताया गया है। मनोवेत्ता भी इस तथ्य से परिचित हैं कि मन में अभूतपूर्व गति, दिव्यशक्ति, तेजस्विता एवं नियंत्रण शक्ति है। इसकी सहायता से ही सभी कार्य होते हैं। मन के बिना कोई कर्म नहीं हो सकता। भूत, भविष्य और वर्तमान सभी मन में ही रहते हैं
ठाकुर एक सम्मान सूचक शब्द है, जो परंपरा में नाम के आगे और पीछे दोनों ही रूपों में उपयोग किया जाता है। शब्दकोश में इसे ठाकुर लिखा गया है, जो देवता का पर्याय है। ब्राह्मणों के लिए भी इसका उपयोग किया गया है। अनंत संहिता में श्री दामनामा गोपालः श्रीमान सुंदर ठाकुरः का उपयोग भी किया गया है, जो भगवान क
वल्लभाचार्य ने शुद्धाद्वैत दर्शन के आधार पर पुष्टिमार्ग की आधारशिला रखी थी, जिसमें प्रेम प्रमुख भाव है। वल्लभाचार्य ने पुष्टिमार्ग का प्रतिपादन किया था। उन्होंने ही इस मार्ग पर चलने वालों के लिए वल्लभ संप्रदाय की आधारशिला रखी। पुष्टिमार्ग शुद्धाद्वैत दर्शन पर आधारित है। पुष्टि
हमारी लगभग सारी धार्मिक मान्यताएं कहीं न कहीं किसी साइंटिफिक रीजन की वजह से बनी हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि सूर्यदेव या शिवलिंग को जल चढ़ाने के पीछे प्यार साइंटिफिक रीजन हैं। अगर हम सूर्य को जल देने की बात करें तो इसके पीछे छिपा है रंगों का विज्ञान। हमारी बाॅडी में रं
संत मीराबाई के जीवन की एक घटना बड़ी प्रसिद्ध है। मीरा भगवान कृष्ण की अनन्य भक्त थीं। वे ईश्वर के प्रति अपने प्रेम के लिए विख्यात थीं। उन्होंने अपने आराध्य की खोज में अपना राज्य छोड़ दिया। वे अपने राज्य से बहुत दूर जाकर एक कृष्ण मंदिर में ठहरीं। मंदिर के पुजारी ने उन्हें मंदिर मंे आने से रोकते हुए
1.प्रार्थना आत्मा की आध्यात्मिक भूख हैं। 2. प्रार्थना आत्म शुद्धि का आवाहन है। 3. प्रार्थना मानवीय प्रयत्नों में ईश्वरतत्व का सुन्दर समन्वय है। 4. प्रार्थना आत्मविश्वास का पहला पायदान है। 5. प्रार्थना से आत्म सत्ता में परमात्मा का सूक्ष्म दिव्य तत्व झलकने लगता है।
‘स्वयं भगवान नारायण ने अर्जुन को जिसका उपदेश दिया था, प्राचीन मुनि
गजानन रखियो सबकी लाज। हे गणपति हे विघ्न विनाशक होवे सुफल सब काज गजानन रखियो सबकी लाज । कोई माँगे रिद्धि सिद्धि कोई चाहे शुभ लाभ देना सबको विद्या बुद्धि और सुमति के साज गजानन रखियो सबकी लाज ।