केवल एक ही बात याद रखो कि तुम कितने सौभाग्यशाली हो। जब तुम यह भूल जाते हो, तब तुम दुःखी हो जाते हो। दुःख तुम्हारे नकारात्मक मनोभावों को और अपने गुणों के प्रति तुम्हारे अत्यधिक लगाव को इंगित करता है। जब तुम अपने को योग्य नहीं समझते, तुम स्वयं को दोषी ठहराते हो और दुःखी होते हो। जब तुम अपने को बहुत
विधाता की इस सुन्दर सृष्टि के संचालक नर-नारी हैं। इन्हीं के सहयोग से सृष्टि की प्रक्रिया आगे बढ़ती है। लेकिन जैसे-जैसे विधाता की सृष्टि का यह प्रिय ज्ञानवान प्राणी सभ्य होता जा रहा है, इसकी बौद्धिकता में परिवर्तन आता जा रहा है। स्वार्थ के कारण इसकी सोच में संकीर्णता पूरी तरह से समा गयी है। सन्तान
गायों की सेवा करने से देव-कृपा प्राप्त होती है तथा पितृ-दोष दूर होता है। इस हेतु निम्न कार्य नियमित करें-गाय को एक रोटी तथा गुड़ अथवा थोड़ा-सा ही सही, हरा चारा जरूर खिलाएँ। पहले गाय को आहार दें, इसके बाद स्वयं खायें। दूसरे की गाय को खिलाना तो और भी उत्तम होता है।गाय
सफलता उसको मिलती है जिसके भीतर पाने की इच्छा होती है। सफलता पाने की इच्छा के साथ-साथ सफलता पाने की रीति मालूम होनी चाहिए। इसके बाद आपको तब तक निरन्तर प्रयत्न करते रहना चाहिए जब तक सफलता न मिले। सफलता पाने की चाह ही काफी नहीं। उसके लिए प्रयत्न करना अनिवार्य है। ऐसा भी नही
दुनिया के सभी प्राणियों में मनुष्य शारीरिक रूप में सबसे कमजोर है। आदमी चिडि़या की तरह उड़ नहीं सकता, तेंदुए से तेज दौड़ नहीं सकता, एलीगेटर की तरह तैर नहीं सकता, और बंदर की तरह पेड़ पर चढ़ नहीं सकता। आदमी की आँख चील की तरह तेज नहीं होती, न ही उसके पंजे और दाँत जंगली बिल्ली की तरह मजबूत होते है। जि
दृढ़ और बलवान् संकल्प शक्ति के कारण मनुष्य में ऐसी योग्यता और शक्ति आ जाती है कि कितनी भी कठिनाईयाँ क्यों न हो वह सबको पार कर जाता ह,ै कोई वस्तु उसको अपने उद्देश्य से नहीं रोक सकती बल्कि ऐसे पुरुषार्थी के लिए प्रकृति स्वयं काम करती है। इसी शक्ति के भरोसे पंजाब केसरी महाराजा रणजीत सिंह ने अटक नदी
अनचाही बातें जीवन में चींटी की रफ्तार से आती हैं इसलिए इंसान यह जान ही नहीं पाता कि ये चीजें उसकी तरफ धीरे-धीरे सरक रही हैं। वह हर दिन नकारात्मक बातों को देख-देखकर जितना ज्यादा उस पर ध्यान केन्द्रित करता है, उतनी ही नकारात्मक घटनाओं को उसके जीवन में प्रवेश पाने में आसानी होती है। इंसान सोचता है क
खुद ही को कर बुलन्द इतना कि हर तहरीर से पहले खुदा बंदे से यह पूछे बता तेरी रज़ा क्या है। इसी धरती पर कई लोगों ने अपनी जिजीविषा के ज़रिए यह सिद्ध करके दिखाया है कि यदि इच्छाशक्ति प्रबल हो, तो किसी भी सफलता को पाया जा सकता है। इन सभी लोगों के पास इस बात का बहाना बनाने के पर्याप्त
विज्ञान के मुताबिक पृथ्वी की आंतरिक हलचल के कारण भूकंप आते हैं। प्राचीन ऋषियों, विद्वानों ने भी अनेक ग्रंथों में धरती के कंपन का उल्लेख किया है। कहते हैं कि जब राम-रावण का युद्ध हुआ, तो भूमि डोलने लगी थी। भूमि का डोलना शुभ नहीं माना जाता। ऐसा अनेक ग्रंथों में जिक्र आता है कि जब धरती
यह एक मात्र सन्देश है, जो महावीर ने बारह वर्ष की दीर्घकालीन तपस्या से पाया। चाहे पशु हो, पक्षी हो, कीड़ा-मकोड़ा हो, अपना हो, पराया हो, इस देश का हो या किसी अन्य देश का हो, जीव मात्र, प्राणी मात्र के प्रति भगवान् महावीर की करूणा थी, उनके लिए बस एक ही भावना थी- ‘तुम जिओ और सभी को जीने दो&lsqu