चक्रवर्ती राजा जनक की मखमली गदेेलों पर करवटें बदलते हुए झपकी लगी ही थी कि पड़ौसी देश के राजा ने संदेश भेजा - ”युद्ध के लिए तैयार हो जाओ अथवा अधीनता स्वीकार करो।“ युद्ध होना ही था।-हुआ। राजा जनक बुरी तरह हारे। सब कुछ छोड़ कर भगे जा रहे हैं-भूखे प्यासे, शत्रुओं द्वारा पकड़े जाने का बड़ा
उदयपुर । सेवा परमों धर्म ट्रस्ट के ’अपना घर’ में रहकर शहर के अंग्रेजी माध्यम स्कूलों की विभिन्न कक्षाओं में पढ़ने वाले निराश्रित बालकों ने मेहनत और लगन से शत प्रतिशत परिणाम हासिल किया है। ट्रस्ट अध्यक्ष श्री प्रशान्त अग्रवाल ने बताया कि आलोक संस्थान व आदिनाथ विद्यालय में पढ़ रहें सभी
जिसके मन में पाप है, चाहे वह सौ बार तीर्थ करे तो भी शुद्ध नहीं होंगे। कमाये हुए धन को उचित व्यय करना ही उस की रक्षा है। अपने सुख के दिनों को स्मरण करने से बड़ा दुख और कोई नहीं है। सहानुभूति एक ऐसी भाष
जो प्राप्ति, यानी कि राज्याभिषेक किसी भी व्यक्ति के जीवन की सर्वोत्तम उपलब्धि होती है, वही राम को बंधनकारी लग रही है। जंजीर, हथकड़ी, फिर चाहे वह सोने की ही क्यों न बनी हुई हो, होती तो हथकड़ी ही है। राम राजसिंहासन को इसी रूप में देख रहे थेे। वे इसे इस रूप में ले रहे थे कि इसका अर्थ होगा जीवन
जीवन को आसान बनाने के लिए जरूरी है, जीवन को व्यवस्थित करना। आपके लिए जो महत्वपूर्ण है, उन सभी पक्षों पर नियंत्रण बनाना। यह काम को प्रभावी बनाने का तरीका भी है और अपनी क्षमताओं को बढ़ाने का भी। याद रखें, आपका जीवन एक अवसर है, इसे नई ऊंचाइयों तक ले जाएं। कुछ बेहतर बनाने में खुद को लगाएं। मन
इस संसार में जिस किसी ने जो कुछ प्राप्त किया, वह प्रबल इच्छाशक्ति के आधार पर प्राप्त किया है । मनुष्य जिस प्रकार की इच्छा करता है, वैसी ही परिस्थितियाँ उसके निकट एकत्रित होने लगती हैं । इच्छा एक प्रकार की चुंबकीय शक्ति है, जिसके आकषर्ण से अनुकूल परिस्थितियाँ खिंची चली आती है । जहाँ इच्छा नहीं, वह
कटु-वचनों की धार से, बने जीभ तलवार। अच्छा है चुप ही रहें,बना मौन आधार।। भावार्थ - हमारे अपने कटु वचन ही हमारी जीभरूपी तलवार बन जाती है। इसलिए अच्छाई इसी में है कि हम चुप ही रहें, हमारा आधार मौन हो जाए। भलाई भी इसी में है और नीति भी यही कहती है। अमृत वचन- कटु वचनों मे
ऊँ वरुणस्योत्तम्भनमसि वरुणस्य,सकम्भ सर्ज्जनीस्थो । वरुणस्य ऋतसदन्यसि वरुणस्य ऋतसदनमसि, वरुणस्य ऋतसदनमासीद् ।। भगवान भोलेनाथ की पूजा के दौरान इस मंत्र के द्वारा शिवजी को स्नान समर्पण करना चाहिए-
सर्वार्थसिद्धि, रवि, मंगलादित्य व बुधादित्य योग का महासंयोग, मांगलिक कार्य व खरीदी के लिए अतिशुभ अवसर कल यानी 21 को है आखातीज उज्जैन। अक्षय तृतीया पर इस बार सुबह से रात तक कई शुभ संयोग बन रहे हैं। ज्योतिषियों के अनुसार यह दुर्लभ अवसर 191 साल बाद आया है। इस कारण यह दिन मांगलिक कार्य, दान-पु
सेहत- कुछ दिनों की शारीरिक सक्रियता से भी पैर की नसों को काफी नुकसान पहुंचता है। इससे उबरने में वक्त लग जाता है। हालिया शोध में यह दावा किया गया है। युनिवर्सिटी आॅॅफ मिसौरी स्कूल आॅफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं के मुताबिक रोज के शारीरिक कामकाज में थोड़ी सी गिरावट भी पैर की धमनियां ठीक से काम नही