संघ के आचार्य के पास एक बार कुछ शिष्य पहुंचे। वे बहुत उत्साहित थे। उन्होंने आचार्य को बताया, हमने पूरे एक महीने तक मौन व्रत का पालन किया।इस दौरान चाहे जितनी परेशानी हुई, बाधाएं आयी, गड़बडि़यां हुई, पर हमने अपना मुंह नहीं खोला। संयम से मौन व्रत पर दृढ़ रहे। शिष्
एक रात स्वप्न में देवी लक्ष्मी ने एक सेठ को दर्शन दिए और कहा, ‘सेठ, तुम्हारा पुण्य शीघ्र समाप्त होने वाला है। उसके बाद मैं यहां से चली जाऊंगी। इसलिए यदि तुम्हें कुछ मांगना हो तो अभी मुझसे मांग लो।’ सेठ ने लक्ष्मी जी से हाथ जोड़कर कहा कि वह अपने परिवार के सदस्यों से सलाह करने के बाद जो
फल केला गुणों की खान हैं। इससे हमें सिर्फ ऊर्जा ही नहीं मिलती, यह शरीर को फिट रखने में हमें मदद करता है। कई बीमारियों से उबरने में केला काफी मददगार है। रोजाना इसका सेवन बहुत ही फायदेमंद होता है। घ् एक केला निरंतर ऊर्जा को बढ़ाता है। केले में तीन प्राकृतिक शुगर पाए जाते हैं- सूक
उन सभी भावनाओं में, जिन्हें आप अपने अन्दर पोस सकते हैं, करुणा की भावना सबसे कम उलझाने वाली और सबसे अधिक मुक्त करने वाली है। आप बिना करुणा के भी जी सकते हैं, लेकिन आपके अन्दर भावनाएं तो हैं ही। तो अपनी भावनाओं को किसी और चीज के बजाय करुणा में बदलना बेहतर होगा, क्योंकि हर दूसरी भावना में उलझ जाने क
जो मेरे भाग्य में नहीं वो दुनिया की कोई भी शक्ति मुझे नहीं दे सकती। और जो मेरे भाग्य में है, उसे दुनिया की कोई भी शक्ति मुझसे छीन नहीं सकती। ईश्वरीय शक्ति असम्भव को &nbs
रोजाना एक चम्मच शुद्ध शहद खाने से भी आंखों की रोशनी दुरूस्त रहती है यूं तो शरीर का हर एक अंग महत्वपूर्ण होता है लेकिन आंखों के बिना जीवन अधूरा लगता है। आयुर्वेद के ग्रंथों में नेत्र रक्षा के विभिन्न उपायों का वर्णन किया गया है। आइए जानते हैं उनके बारे में..... 1. हरीतकी, बहेड़ा और आंवला नि
यहां उन कुछ बातों को प्रस्तुत कर रहे हैं, जो हमारे पूर्वजों ने अपने अनुभवों द्वारा हमें सौंपी हैं। हमें इन बातों का स्वयं भी पालन करना चाहिए तथा अगली पीढ़ी को भी सिखानी चाहिए। ये ऐसे टिप्स हैं, जो हमे सदा स्वस्थ रखेंगे।रात्रि का भोजन कर लेने के बाद फल खाना अहितकर है।
गुरु नानकदेव सादा जीवन जीते और प्रभु को याद करने की प्रेरणा देते थे। एक बार की बात है उनके पास एक व्यक्ति आया और बोला, बाबा मैं चोरी और दूसरे अपराध करता हूं। मेरा जीवन सुधर जाए, ऐसा कोई उपाय बताइए। गुरुनानक देव जी ने कहा कि, तुम चोरी करना बंद कर दो। सत्य बोलने का व्रत लो। तुम्हारा कल्याण हो जाएगा
1.प्रार्थना आत्मा की आध्यात्मिक भूख हैं। 2. प्रार्थना आत्म शुद्धि का आवाहन है। 3. प्रार्थना मानवीय प्रयत्नों में ईश्वरतत्व का सुन्दर समन्वय है। 4. प्रार्थना आत्मविश्वास का पहला पायदान है। 5. प्रार्थना से आत्म सत्ता में परमात्मा का सूक्ष्म दिव्य तत्व झलकने लगता है।
मैत्री मैत्री गुणवत्ता है न कि संबंध। इसका किसी दूसरे से कोई लेना-देना नहीं है। मौलिक रूप से यह तुम्हारी आंतरिक, योग्यता है। मैत्री एक तरह की खुशबू है। जंगल में फूल खिलता है, कोई भी नहीं गुजरता... तब भी वह खुशबू बिखेरता है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कोई जानता है