दो या दो से अधिक उँगलियों के मेल से जो यौगिक क्रियाएँ संपन्न की जाती हैं, उन्हें योग मुद्रा कहा जाता है, जो इस प्रकार हैं- 1. वायु मुद्रा- यह मुद्रा तर्जनी को अँगूठे की जड़ में स्पर्श कराने से बनती है। 2. शून्य मुद्रा-
स्वास्थ्य व पर्यावरण सुरक्षा का अमोघ उपाय - गाय का घी देशी गाय का घी शारीरिक, मानसिक व बौद्धिक विकास एवं रोग-निवारण के साथ पर्यावरण-शुद्धि का एक महत्त्वपूर्ण साधन है। इसके सेवन से - 1) बल, वीर्य व आयुष्य बढ़ता है, पित्त शांत हो
महान वैज्ञानिक थॉमस एडिसन बहुत ही मेहनती एंव जुझारू प्रवृति के व्यक्ति थे। बचपन में उन्हें यह कहकर स्कूल से निकाल दिया गया कि वह मंद बुद्धि बालक है। उसी थॉमस एडिसन ने कई महत्वपूर्ण आविष्कार किये जिसमें से “बिजली का बल्ब” प्रमुख है। उन्होंने बल्ब का आविष्कार
महाप्रभु श्री हरिराय जी द्वारा - श्रीकृष्ण सर्वदा स्मर्यः सर्व लीला समान्वितः श्रीकृष्ण का स्मरण होने से चित उनकी सेवा में महज ही प्रवृत हो जाता है।
कोई भी शुभ कार्य की शुरूआत हो, तो हिंदू धर्म के अनुयायी भगवान श्रीगणेश की पूजा सर्वप्रथम करते हैं, भगवान श्रीगणेश बुद्धि के देवता हैं। जीवन के हर क्षेत्र में गणपति विराजमान हैं। शास्त्रों में कहा गया है कि गणपति सब देवताओं में अग्रणी हैं, गणेशजी अपने आपमें संपूर्ण वास्त
यह तो सभी जानते हैं कि प्लग मंे तीन पिन होती हैं। इनमें से दो पिनों का आकार तो समान होता है, लेकिन तीसरी पिन बड़ी और मोटी होती है। इन पिन को अर्थ के तार या भूयोजित तार से जोड़ा जाता है। आइए जानें यह पिन जरूरी क्यों होती है....... तीसरी पिन और उससे जुड़े तार में सामान्यतः विद्युत प्रवाहित नहीं होती।
विद्यार्थियों को उनकी मेहनत का साकार परिणाम मिले उन्हें उच्च श्रेणी की प्राप्ति हो इसके लिए आवश्यक है कि - प्रत्येक विद्यार्थी पढ़ाई का समय चक्र निर्धारित करें। कब, कितने बजे और कितने समय उसे पढ़ाई करनी है, यह तय करे उसका पालन करें। प्रतिदिन क्लास अटेण्ड करना जरूरी है कक्
दरस परस मज्जन अरु पाना, हरइ पाप कह बेद पुराना।
रैदास ने ऊँच-नीच की भावना तथा ईश्वर-भक्ति के नाम पर किये जाने वाले विवाद को सारहीन तथा निरर्थक बताया और सबको परस्पर मिल जुल कर प्रेमपूर्वक रहने का उपदेश दिया। वे स्वयं मधुर तथा भक्तिपूर्ण भजनों की रचना करते थे और उन्हें भाव-विभोर होकर सुनाते थे। उनका विश्वास था कि राम, कृष्ण, करीम, राघव आदि सब एक
महान कौन है ? महंत कौन है ? इस संबंध में कहा गया है कि ’परोपकार महंत’ अर्थात जो परोपकार करते हैं, उन्हीं को ’महंत’ कहते हैं। जिन्होंने काफी लिखा-पढ़ा है, धन कमाया है, शोहरत हासिल की है, सामाजिक प्रतिष्ठा है, सब कुछ है, तो भी वे महंत नहीं है। जो परोपकार करते हैं वही महंत हैं